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Tuesday, October 2, 2012

दोहे

अल्लाह भी करतार है - ईश्वर भी करतार 
किसी नाम से पूजले -फर्क कहाँ है यार .

सारी दुनिया जीत ले - दुश्मन को दे मार 

बहूत कठिन है जीतना - खुद को मेरे यार .

मो सम अज्ञानी बहूत - तेरे होंगे नाथ 

पर मेरा तू एक है - छोड़ ना देना हाथ .

मैं भी उसका मित्र हूँ - 'वो' भी मेरा यार 

जब दोनों मिल जायेंगे - खूब बढेगा प्यार .

प्रेम करो निर्भय मना - कैसो करे विचार 

माया सारी झूठ है - प्रेम ही जग को सार .

प्रेम बिना सूना जहाँ - करो हरी से प्यार 

प्रेम बिना रीझे नहीं - अपना वो करतार .

सारी माया रामकी - लिपटी चारों ओर

सुलझेगा कैसे सखा - नहीं मिलेगा छोर .

सारी माया राम की - मांगों प्यारे राम 

माया छलनी जात है - हरी आयेंगे काम .

माया तो मिल जायेगी - नहीं मिलेगा नाथ

उसका मिलना कठिन है वो कब आवे हाथ .

सीधे सीधे माँगना - बड़े शर्म की बात 

दाता को ही मांगले - वो सब लायें साथ .

अम्बर में घनश्याम हैं जलमे भी घनश्याम 

मेरे प्रभु गोपालजी हैं चहुदिश जिनके धाम .

लक्ष्मी का क्या मांगना - माया झूठी बात 

मायापति को मांग ले - भार्या आये साथ .

प्रेम कभी कीजे नहीं - जीवन में तुम यार 

अपनी छोटी गुदद्दी - जमकर पैर पसार .

पर आशा कीजे नहीं - बिगड़े बनती बात

बिन स्वारथ सींचे नहीं माली दरख्त पात .

प्रेम पराया पाहुना - भौर हुए उड़ जाए 

परजीवी ये जात है - रोये और रुलाये .

तेरी मेरी प्रीत तो - टूट जुड़े सौ बार . 

सबके अपने तीर हैं - सबकी अपनी धार .

तन का जोगी जोगडा - मनसे बनते सिद्ध 

तन मर जाए एक दिन नोचें चील और गिद्ध .

तनमन झुलसा जात है - लख सौतन संग तोय 

बता सखा वो मन्त्र तू - जो हरी को प्रिय होय .

तन का कैसा भीगना - सूखे मन के खेत 

चौमासे के बाद फिर - वही रेत की रेत .

बड़े प्रेम से मिल रहे - दुर्योधन ओर कंस 

बहुविधि प्रेम दिखा रहे बगुलाधारी हंस .

नौ निध बारह सिद्ध हैं पर तेरे कब होंए 

जा दिन 'वाको' होयेगो - सारे तेरे होंए.

पत्थर तरना कठिन है - ये सागर की रीत

रामनाम के लेख से - जल भी करता प्रीत .

मरजाना ये जीवड़ा - जल जाएँ सब अंग 

फिर कैसा ये मोह है - फिर ये कैसी जंग .

मगन भया संसार में - माया चारों ओर

ढूंढ ढूंढके मर गए - मिला ना दूजा छोर .

साधू को सोहे नहीं - चूल्हा तवा परात .
हरी की पूंजी बहूत है - वो जाएगी साथ .

सुख का भी क्या भोगना - कहें फकीरी बात 

जितना लम्बा दिन भया - उससे लम्बी रात .

करना तेरे हाथ है - देना उसके हाथ 

संघर्षों से ना डरो - सौ बातों की बात .

गन्दी गाली बन गयी राजनिति चहुँ और 

करें दलाली भांड अब - सत्ता के सब चोर .

जीभर बांटों प्रेम को - नहीं किसी से रार 

ये तेरा दुश्मन नहीं - वो भी तेरो यार .

लड़ते आये देश हैं - मरती आई फ़ौज 

अमेरिका जैसी नहीं- किसी की मौज .

गिरने से ना डर मना - गिरती बारम्बार 

फिर भी लगी दीवार पर चींटी की कतार .

मरना पक्का है मगर , जीने की कर बात 

आएगी जब आएगी - फिर क्यों देखे बाट .

मंदिर में मिलता नहीं - मस्जिद में भी नाहीं 

ढूंढा सब संसार पर - मन में खोजा नाही .

नहीं रहना संसार में - अब क्या सोचो नाथ 

बिनती मेरी मान ले - ले चल अपने साथ .


नेता नेता सा नहीं - नायक के नहीं योग 
बीच कढाई बैठकर  - लेवे सारे भोग .

 जीतेगा कोई नहीं - सभी गए हैं हार 
चाहे अनशन बैठ ले - चाहे ठानो रार .

रावण ज़िंदा है अभी - नहीं मरा है कंस 
अब स्वदेसी राज भी लगने लगा कलंक .

रै बटेऊ सालभर में - और किन्ना खा लेगी 
या खाऊ पिऊ सरकार तो अयाँ ही चालेगी .
(बटेऊ = दामाद , अयाँ = ऐसे ही )

चक्रव्यूह में जा फंसे ना अंदर ना बाहर 
मोह बसा है पार्थ में - कैसे करे प्रहार .

थककर सबने रख दिए - अपने अपने तीर 
वोटों से कब बदलती - भारत की तकदीर .










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