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Saturday, October 13, 2012

क्षणिकाएं

बाँधी थी मन्नते - जो तेरे दर पे औलिया 
अबतक नहीं खुली तमाम कोशिशों के बाद .

वे शांति की खोज में जब चाँद तक गए
फिर उसके बाद एटमी दुनिया मिली हमें .

मैं आदमी अदना सा वो ख्वाब आँखोंसे बड़ा था
पाने की जिद में दिल मेरा दुनिया से लड़ा था .

जो रौशनी की चाह में सूर्यलोक तक गए 
लौटे नहीं - जिनकी मुझे तलाश है बहूत .

धरती को छोड़ा इस लिए - आकाश को छू लूं 
उन्मुक्त परिंदों का उड़ना अच्छा लगा था यार .

वो ख्वाब मुकमल था - और ना रात गलत थी 
ख्वाबों ने आँख चुनने में गलती करी है यार .

कैसी अजीब दुनिया - कितने अजीब लोग 
पलकों से कब उतार - कन्धों पर उठा लिया .

सब कह रहे थे हमसे - मगर कर नहीं सके 
ये प्यार व्यार - हम से कभी हो नही सका .

ना चांदनी मिली हमें - ना चाँद ही मिला
रातों का जागना मेरा बेकार गया यार .
तारों से गुफ्तगू - कभी निहारिका से बात
परियों के देश भटकता बेकार ही गया .

सदियाँ गुजर गयी मगर वो मिल नहीं सके 
दिनरात का ये प्यारभी कितना अजब है यार .

छप्पन पैसे घट गए - इसे कहें सरकार 
छप्पन आने बढ़ेंगे - खुश मत हो तू यार .

जो दिन का आगाज़ ये - कैसा होगा अंत 
डाके डाले रात भर - ये है कैसा संत .

रात चढ़ी - दिन ढल गया हुई नहीं फिर भौर
पता नहीं इस राज का कितना लम्बा दौर .

घटी हुई हैं कीमते - भर भरकर ले जाओ 
छप्पन पैसे बहूत हैं खर्चो खूब - बचाओ

दीवारों संग रो रहा - कितना तू बीमार 
खोले होते द्वार तो - ना होता लाचार 
बंद पड़ी हैं खिड़कियाँ सारे रोशनदान 
धूप घुसेगी किधर से - कह रे बेईमान .

आहिस्ता - आहिस्ता 
बदलता है मौसम - 
बहार आती है रफ्ता रफ्ता .
बदल जाती है फिजा - उनके
आने से - दिल को करार 
लाती है अहिस्ता आहिस्ता .

अब हार जानेका कोईभी गम नहीं होता -
यूँ जीत भी जाते हैं यार हम कभी कभी .

फ़रिश्ते भी देखो जले जाते हैं - 
जब तेरे साथ मैं निकलता हूँ .

फिर मुड़े पाँव 
उसके घर की तरफ .
ढून्ढ लेंगे फिर कोई - 
और नया बहाना .
दिल ये कहता हैं - 
अब रुक नहीं जाना .

लगता है उसकी छत पे - 
चाँद निकल आया है .
रौशनी यूँही तो नहीं - 
इठलाती - जगमगाती 
फिरती है पूरे मौहल्ले में .

पलकों पे बिठाने को तो तैयार हूँ मैं 
पर मेरे यार रात को सोना भी तो है .

बसा हूँ - तेरी निगाहों में दोस्त
पलक झपकते ही गिर जाऊँगा . 
चला गया जो ख़याल दिल से तेरे 
लौटकर वापिस ना कभी आऊंगा .

अभी ठीक से उबला नहीं कच्चा है यार 
इन्कलाब का ख्याल अभी बच्चा है यार .

मैं चाहता हूँ कांग्रेस दो चार बार 
अभी और जीत कर आये जब तक 
तुम्हारा मन पूरी तरह ना भर जाए .
तब बता देना - फिर बदल देंगे इसे .

है पसंद आपकी अदा हमको 
मर गए भी कोई फिकर नहीं .
चीर दे जो दिलको खंज़र सी
बनी ऐसी कोई नज़र ही नहीं .

खेल तो खेल है - यार 
फिर हार से डरना कैसा .
हारके अपना दिल प्यारे -
दिल किसी का जीता जाता है .




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