बाँधी थी मन्नते - जो तेरे दर पे औलिया
अबतक नहीं खुली तमाम कोशिशों के बाद .
वे शांति की खोज में जब चाँद तक गए
फिर उसके बाद एटमी दुनिया मिली हमें .
मैं आदमी अदना सा वो ख्वाब आँखोंसे बड़ा था
पाने की जिद में दिल मेरा दुनिया से लड़ा था .
जो रौशनी की चाह में सूर्यलोक तक गए
लौटे नहीं - जिनकी मुझे तलाश है बहूत .
धरती को छोड़ा इस लिए - आकाश को छू लूं
उन्मुक्त परिंदों का उड़ना अच्छा लगा था यार .
वो ख्वाब मुकमल था - और ना रात गलत थी
ख्वाबों ने आँख चुनने में गलती करी है यार .
कैसी अजीब दुनिया - कितने अजीब लोग
पलकों से कब उतार - कन्धों पर उठा लिया .
सब कह रहे थे हमसे - मगर कर नहीं सके
ये प्यार व्यार - हम से कभी हो नही सका .
ना चांदनी मिली हमें - ना चाँद ही मिला
रातों का जागना मेरा बेकार गया यार .
तारों से गुफ्तगू - कभी निहारिका से बात
परियों के देश भटकता बेकार ही गया .
सदियाँ गुजर गयी मगर वो मिल नहीं सके
दिनरात का ये प्यारभी कितना अजब है यार .
छप्पन पैसे घट गए - इसे कहें सरकार
छप्पन आने बढ़ेंगे - खुश मत हो तू यार .
जो दिन का आगाज़ ये - कैसा होगा अंत
डाके डाले रात भर - ये है कैसा संत .
रात चढ़ी - दिन ढल गया हुई नहीं फिर भौर
पता नहीं इस राज का कितना लम्बा दौर .
घटी हुई हैं कीमते - भर भरकर ले जाओ
छप्पन पैसे बहूत हैं खर्चो खूब - बचाओ
दीवारों संग रो रहा - कितना तू बीमार
खोले होते द्वार तो - ना होता लाचार
बंद पड़ी हैं खिड़कियाँ सारे रोशनदान
धूप घुसेगी किधर से - कह रे बेईमान .
आहिस्ता - आहिस्ता
बदलता है मौसम -
बहार आती है रफ्ता रफ्ता .
बदल जाती है फिजा - उनके
आने से - दिल को करार
लाती है अहिस्ता आहिस्ता .
अब हार जानेका कोईभी गम नहीं होता -
यूँ जीत भी जाते हैं यार हम कभी कभी .
फ़रिश्ते भी देखो जले जाते हैं -
जब तेरे साथ मैं निकलता हूँ .
फिर मुड़े पाँव
उसके घर की तरफ .
ढून्ढ लेंगे फिर कोई -
और नया बहाना .
दिल ये कहता हैं -
अब रुक नहीं जाना .
लगता है उसकी छत पे -
चाँद निकल आया है .
रौशनी यूँही तो नहीं -
इठलाती - जगमगाती
फिरती है पूरे मौहल्ले में .
पलकों पे बिठाने को तो तैयार हूँ मैं
पर मेरे यार रात को सोना भी तो है .
बसा हूँ - तेरी निगाहों में दोस्त
पलक झपकते ही गिर जाऊँगा .
चला गया जो ख़याल दिल से तेरे
लौटकर वापिस ना कभी आऊंगा .
अभी ठीक से उबला नहीं कच्चा है यार
इन्कलाब का ख्याल अभी बच्चा है यार .
मैं चाहता हूँ कांग्रेस दो चार बार
अभी और जीत कर आये जब तक
तुम्हारा मन पूरी तरह ना भर जाए .
तब बता देना - फिर बदल देंगे इसे .
है पसंद आपकी अदा हमको
मर गए भी कोई फिकर नहीं .
चीर दे जो दिलको खंज़र सी
बनी ऐसी कोई नज़र ही नहीं .
खेल तो खेल है - यार
फिर हार से डरना कैसा .
हारके अपना दिल प्यारे -
दिल किसी का जीता जाता है .
अबतक नहीं खुली तमाम कोशिशों के बाद .
वे शांति की खोज में जब चाँद तक गए
फिर उसके बाद एटमी दुनिया मिली हमें .
मैं आदमी अदना सा वो ख्वाब आँखोंसे बड़ा था
पाने की जिद में दिल मेरा दुनिया से लड़ा था .
जो रौशनी की चाह में सूर्यलोक तक गए
लौटे नहीं - जिनकी मुझे तलाश है बहूत .
धरती को छोड़ा इस लिए - आकाश को छू लूं
उन्मुक्त परिंदों का उड़ना अच्छा लगा था यार .
वो ख्वाब मुकमल था - और ना रात गलत थी
ख्वाबों ने आँख चुनने में गलती करी है यार .
कैसी अजीब दुनिया - कितने अजीब लोग
पलकों से कब उतार - कन्धों पर उठा लिया .
सब कह रहे थे हमसे - मगर कर नहीं सके
ये प्यार व्यार - हम से कभी हो नही सका .
ना चांदनी मिली हमें - ना चाँद ही मिला
रातों का जागना मेरा बेकार गया यार .
तारों से गुफ्तगू - कभी निहारिका से बात
परियों के देश भटकता बेकार ही गया .
सदियाँ गुजर गयी मगर वो मिल नहीं सके
दिनरात का ये प्यारभी कितना अजब है यार .
छप्पन पैसे घट गए - इसे कहें सरकार
छप्पन आने बढ़ेंगे - खुश मत हो तू यार .
जो दिन का आगाज़ ये - कैसा होगा अंत
डाके डाले रात भर - ये है कैसा संत .
रात चढ़ी - दिन ढल गया हुई नहीं फिर भौर
पता नहीं इस राज का कितना लम्बा दौर .
घटी हुई हैं कीमते - भर भरकर ले जाओ
छप्पन पैसे बहूत हैं खर्चो खूब - बचाओ
दीवारों संग रो रहा - कितना तू बीमार
खोले होते द्वार तो - ना होता लाचार
बंद पड़ी हैं खिड़कियाँ सारे रोशनदान
धूप घुसेगी किधर से - कह रे बेईमान .
आहिस्ता - आहिस्ता
बदलता है मौसम -
बहार आती है रफ्ता रफ्ता .
बदल जाती है फिजा - उनके
आने से - दिल को करार
लाती है अहिस्ता आहिस्ता .
अब हार जानेका कोईभी गम नहीं होता -
यूँ जीत भी जाते हैं यार हम कभी कभी .
फ़रिश्ते भी देखो जले जाते हैं -
जब तेरे साथ मैं निकलता हूँ .
फिर मुड़े पाँव
उसके घर की तरफ .
ढून्ढ लेंगे फिर कोई -
और नया बहाना .
दिल ये कहता हैं -
अब रुक नहीं जाना .
लगता है उसकी छत पे -
चाँद निकल आया है .
रौशनी यूँही तो नहीं -
इठलाती - जगमगाती
फिरती है पूरे मौहल्ले में .
पलकों पे बिठाने को तो तैयार हूँ मैं
पर मेरे यार रात को सोना भी तो है .
बसा हूँ - तेरी निगाहों में दोस्त
पलक झपकते ही गिर जाऊँगा .
चला गया जो ख़याल दिल से तेरे
लौटकर वापिस ना कभी आऊंगा .
अभी ठीक से उबला नहीं कच्चा है यार
इन्कलाब का ख्याल अभी बच्चा है यार .
मैं चाहता हूँ कांग्रेस दो चार बार
अभी और जीत कर आये जब तक
तुम्हारा मन पूरी तरह ना भर जाए .
तब बता देना - फिर बदल देंगे इसे .
है पसंद आपकी अदा हमको
मर गए भी कोई फिकर नहीं .
चीर दे जो दिलको खंज़र सी
बनी ऐसी कोई नज़र ही नहीं .
खेल तो खेल है - यार
फिर हार से डरना कैसा .
हारके अपना दिल प्यारे -
दिल किसी का जीता जाता है .
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