मैं जानता हूँ - जो
प्यार का एक लफ्ज भी बोला
तो वो साये सा - लिपट जाएगा .
बहूत मुश्किल है - फिर यार
खुद को उससे अलग करना.
जाने किस ख्वाब में कहते हो - दिन निकल आया
अमाँ सोने दो यार - अभी रात बहूत बाकी है .
उनके दो बोल - बस फुग्गे सा फुला देते हैं - यार
वर्ना हमारी आवाज़ गुटरगूं के सिवा कुछ भी नहीं .
ये सर नहीं झुकता - किसी सजदे में यार
खुदा से भी - नजर मिला के बात होती है .
बहूत कठिन है यार जीतना उनसे
अब आपही बताइये - हम क्या करे
कुछ कहता हूँ तो - कहता क्यूँ हूँ .
चुप रहूँ - तो चुप रहता क्यों हूँ .
जो दिल ना कह सका कभी - तुम्हीं कह दो
अब इस तरह कब तलक - खामोश रहिएगा .
छुट गयी सांस की डोरी - बहूत पछताइयेगा
इस उम्र में हमको छोड़कर कहाँ जाइएगा .
कोई तो है मेरी निगाहों में
कोई मिलता नहीं यूँ राहों में .
प्यार के बीज बो गया दिल में
कोई सपना है मेरी बाहों में .
नजरें तकती हैं हमें झुक झुककर
कदम चलते हैं जरा रुक रूककर .
कोई तो बात - जो सबसे गयी छिपाई है
मेरे गुलशन में चुपके से बहार आई है .
एक चंचल कामिनी सी एक बहती नीर सी
एक गुमसुम गजल थी वो एक जिन्दा पीर सी .
शब्द खो बैठे थे लब - फिर हम अबोले हो गए
बर्फ से ठन्डे हृदय में - यारो दग्ध शोले हो गए .
इस जहाँ में बहूत तेरे मेरे का बखेड़ा हो गया
हम तो उसके हो गए - जो यार मेरा हो गया .
पूरी दुनिया दो जहाँ हैं
यार इसमें हम कहाँ हैं .
तू जहाँ हैं - यार अपनी तो
दीन-ओ- दुनिया सारी वहां हैं .
कल्पना के पंख निकले - उड़ चली आकाश में
अपने सब नीचे रहे - था बादलों के पास मैं .
वाह क्या परवाज़ थी - और पंछियों का साथ था .
मोह टुटा धरा से - नभ के हाथों में मेरा हाथ था .
प्रेम के दो बोल से- पंछी जो मेरा हो गया
पूरी दुनिया छोड़ - डाली पर बसेरा हो गया .
छोड़ परसों किसने देखा - यार
हमसे बात कर तू आज - कल की .
खो गयी थी वीथिकाएँ
झाड झंखड से वनों में .
चुक रही थी कुव्वतें - फिर
जिस्म के नाजुक तनों में .
पर सफ़र है शेष तो
चलना पड़ेगा - मीत मेरे.
एक हादसा काफी था ना सीख पाए यार
अब एक ही खता को दोहराना पड़ा हमें .
यूँ लाख करोड़ों थे मेरे देश में - काबिल
जाहिलों को तख़्त संभलाना पड़ा हमें .
रस्तों के जानकार - खोजी लोग ना रहे
मंजिल के पास घर बनाने पड़ें हमें .
सुबह का खुशनुमा - प्रहर
हलके हलके बहती पवन .
कहीं दूर बादलों की ओर
उड़ा उड़ा जाता है मेरा मन .
ना सही दोस्ती - ना सही प्यार
मिल बैठकर बातें करेंगे - किसी
दिन आ भी जाओ - यार .
जिन्दगी जंग है तो - जीत के हासिल करले .
बार बार हारना सचमुच अच्छा नहीं लगता .
घर बनाना भी - सपना बन के रह गया
बना मकान - पर रहने नहीं आया कोई .
निश्छल दिखते हैं - वो छलते हैं
बरफ सरीखे लोग - यहाँ जलते हैं .
प्यार का एक लफ्ज भी बोला
तो वो साये सा - लिपट जाएगा .
बहूत मुश्किल है - फिर यार
खुद को उससे अलग करना.
जाने किस ख्वाब में कहते हो - दिन निकल आया
अमाँ सोने दो यार - अभी रात बहूत बाकी है .
उनके दो बोल - बस फुग्गे सा फुला देते हैं - यार
वर्ना हमारी आवाज़ गुटरगूं के सिवा कुछ भी नहीं .
ये सर नहीं झुकता - किसी सजदे में यार
खुदा से भी - नजर मिला के बात होती है .
बहूत कठिन है यार जीतना उनसे
अब आपही बताइये - हम क्या करे
कुछ कहता हूँ तो - कहता क्यूँ हूँ .
चुप रहूँ - तो चुप रहता क्यों हूँ .
जो दिल ना कह सका कभी - तुम्हीं कह दो
अब इस तरह कब तलक - खामोश रहिएगा .
छुट गयी सांस की डोरी - बहूत पछताइयेगा
इस उम्र में हमको छोड़कर कहाँ जाइएगा .
कोई तो है मेरी निगाहों में
कोई मिलता नहीं यूँ राहों में .
प्यार के बीज बो गया दिल में
कोई सपना है मेरी बाहों में .
नजरें तकती हैं हमें झुक झुककर
कदम चलते हैं जरा रुक रूककर .
कोई तो बात - जो सबसे गयी छिपाई है
मेरे गुलशन में चुपके से बहार आई है .
एक चंचल कामिनी सी एक बहती नीर सी
एक गुमसुम गजल थी वो एक जिन्दा पीर सी .
शब्द खो बैठे थे लब - फिर हम अबोले हो गए
बर्फ से ठन्डे हृदय में - यारो दग्ध शोले हो गए .
इस जहाँ में बहूत तेरे मेरे का बखेड़ा हो गया
हम तो उसके हो गए - जो यार मेरा हो गया .
पूरी दुनिया दो जहाँ हैं
यार इसमें हम कहाँ हैं .
तू जहाँ हैं - यार अपनी तो
दीन-ओ- दुनिया सारी वहां हैं .
कल्पना के पंख निकले - उड़ चली आकाश में
अपने सब नीचे रहे - था बादलों के पास मैं .
वाह क्या परवाज़ थी - और पंछियों का साथ था .
मोह टुटा धरा से - नभ के हाथों में मेरा हाथ था .
प्रेम के दो बोल से- पंछी जो मेरा हो गया
पूरी दुनिया छोड़ - डाली पर बसेरा हो गया .
छोड़ परसों किसने देखा - यार
हमसे बात कर तू आज - कल की .
खो गयी थी वीथिकाएँ
झाड झंखड से वनों में .
चुक रही थी कुव्वतें - फिर
जिस्म के नाजुक तनों में .
पर सफ़र है शेष तो
चलना पड़ेगा - मीत मेरे.
एक हादसा काफी था ना सीख पाए यार
अब एक ही खता को दोहराना पड़ा हमें .
यूँ लाख करोड़ों थे मेरे देश में - काबिल
जाहिलों को तख़्त संभलाना पड़ा हमें .
रस्तों के जानकार - खोजी लोग ना रहे
मंजिल के पास घर बनाने पड़ें हमें .
सुबह का खुशनुमा - प्रहर
हलके हलके बहती पवन .
कहीं दूर बादलों की ओर
उड़ा उड़ा जाता है मेरा मन .
ना सही दोस्ती - ना सही प्यार
मिल बैठकर बातें करेंगे - किसी
दिन आ भी जाओ - यार .
जिन्दगी जंग है तो - जीत के हासिल करले .
बार बार हारना सचमुच अच्छा नहीं लगता .
घर बनाना भी - सपना बन के रह गया
बना मकान - पर रहने नहीं आया कोई .
निश्छल दिखते हैं - वो छलते हैं
बरफ सरीखे लोग - यहाँ जलते हैं .
अमराई में नीम उगें हैं यारो -
सपनों में खोये नींदों में चलते हैं .
सपनों में खोये नींदों में चलते हैं .
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