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Saturday, October 13, 2012

क्षणिकाएं

मैं जानता हूँ - जो 
प्यार का एक लफ्ज भी बोला 
तो वो साये सा - लिपट जाएगा .
बहूत मुश्किल है - फिर यार 
खुद को उससे अलग करना.

जाने किस ख्वाब में कहते हो - दिन निकल आया
अमाँ सोने दो यार - अभी रात बहूत बाकी है .

उनके दो बोल - बस फुग्गे सा फुला देते हैं - यार 
वर्ना हमारी आवाज़ गुटरगूं के सिवा कुछ भी नहीं . 

ये सर नहीं झुकता - किसी सजदे में यार 
खुदा से भी - नजर मिला के बात होती है .

बहूत कठिन है यार जीतना उनसे 
अब आपही बताइये - हम क्या करे 
कुछ कहता हूँ तो - कहता क्यूँ हूँ .
चुप रहूँ - तो चुप रहता क्यों हूँ .

जो दिल ना कह सका कभी - तुम्हीं कह दो 
अब इस तरह कब तलक - खामोश रहिएगा . 
छुट गयी सांस की डोरी - बहूत पछताइयेगा 
इस उम्र में हमको छोड़कर कहाँ जाइएगा .

कोई तो है मेरी निगाहों में 
कोई मिलता नहीं यूँ राहों में .
प्यार के बीज बो गया दिल में 
कोई सपना है मेरी बाहों में .

नजरें तकती हैं हमें झुक झुककर
कदम चलते हैं जरा रुक रूककर .
कोई तो बात - जो सबसे गयी छिपाई है 
मेरे गुलशन में चुपके से बहार आई है .

एक चंचल कामिनी सी एक बहती नीर सी
एक गुमसुम गजल थी वो एक जिन्दा पीर सी .
शब्द खो बैठे थे लब - फिर हम अबोले हो गए 
बर्फ से ठन्डे हृदय में - यारो दग्ध शोले हो गए .

इस जहाँ में बहूत तेरे मेरे का बखेड़ा हो गया 
हम तो उसके हो गए - जो यार मेरा हो गया .

पूरी दुनिया दो जहाँ हैं 
यार इसमें हम कहाँ हैं .
तू जहाँ हैं - यार अपनी तो 
दीन-ओ- दुनिया सारी वहां हैं .

कल्पना के पंख निकले - उड़ चली आकाश में 
अपने सब नीचे रहे - था बादलों के पास मैं .
वाह क्या परवाज़ थी - और पंछियों का साथ था .
मोह टुटा धरा से - नभ के हाथों में मेरा हाथ था .

प्रेम के दो बोल से- पंछी जो मेरा हो गया 
पूरी दुनिया छोड़ - डाली पर बसेरा हो गया .

छोड़ परसों किसने देखा - यार 
हमसे बात कर तू आज - कल की .

खो गयी थी वीथिकाएँ 
झाड झंखड से वनों में .
चुक रही थी कुव्वतें - फिर 
जिस्म के नाजुक तनों में .
पर सफ़र है शेष तो 
चलना पड़ेगा - मीत मेरे.

एक हादसा काफी था ना सीख पाए यार
अब एक ही खता को दोहराना पड़ा हमें .
यूँ लाख करोड़ों थे मेरे देश में - काबिल 
जाहिलों को तख़्त संभलाना पड़ा हमें .

रस्तों के जानकार - खोजी लोग ना रहे 
मंजिल के पास घर बनाने पड़ें हमें .

सुबह का खुशनुमा - प्रहर
हलके हलके बहती पवन .
कहीं दूर बादलों की ओर
उड़ा उड़ा जाता है मेरा मन .

ना सही दोस्ती - ना सही प्यार 
मिल बैठकर बातें करेंगे - किसी 
दिन आ भी जाओ - यार .

जिन्दगी जंग है तो - जीत के हासिल करले .
बार बार हारना सचमुच अच्छा नहीं लगता .

घर बनाना भी - सपना बन के रह गया 
बना मकान - पर रहने नहीं आया कोई .

निश्छल दिखते हैं - वो छलते हैं
बरफ सरीखे लोग - यहाँ जलते हैं .
अमराई में नीम उगें हैं यारो -
सपनों में खोये नींदों में चलते हैं .



 



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