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Tuesday, June 11, 2013

क्षणिकाएँ


जिन्दगी उम्मीद है आस है

मौत जिन्दगी हो ही नहीं सकती
ढूँढना जिन्दगी को पड़ता है
मौत तो कहीं खो ही नहीं सकती .

कोई हमदर्द - कोई

अपना सा - ढूंडा बहूत
कभी मिला ही नहीं
सिले और क्या मिलने थे यार 
जब कोई सिलसिला ही नहीं .

जब इंसान अट्टाहास करता है 
तो प्रकृति बहूत रोती है .
पर प्रकृति की हंसी - तो 
बड़ी डरावनी विभित्स होती है .

ना सही फूल - 
काँटों का ही सृजन कर 
आज प्रसव की - 
कुछ पीड़ा सहन कर . 
कल ये तेरे गुलशन के 
पहरुए कहलायेंगे .

जिदगी शान से जियोगे 

या सफ़ेद चमड़ी से -
अपनी भद्द पिटवाओगे 
ये तुम पर निर्भर है 
की शमशान में जलोगे 
या फिर ताबूत में जाओगे .

एक मोदी को 

ओढोगे या बिछाओगे -
या फिरंगियों के हाथों -
देश की अस्मत -
दुबारा लूटवाओगे .
अब घर में ही पड़े रहोगे 
या सड़क पर भी आओगे .

नीरो की मुरली बजे फड्कें सारे अंग - 

झूम झूमकर - नाचले फिरना हों ये रंग . 

दिल्ली कितनी दूर है - इटली कितनी पास 

जिस दिन बस्ता हो जमा - टूटे इनकी आस .

रात सतरंगी -

रंगारंग हसीन 
पर सुबह के 
बस दो रंग -
या तो सबरंग - 
या फिर बेरंग .

कई बार यूँही - कुछ कहने को दिल नहीं करता .

वो खामोश हों तो चुप रहने को दिल नहीं करता .

जिन्दगी इम्तिहान - पहेली नहीं

सुघड़ नार तो है पर नवेली नहीं 
गम ख़ुशी दोनों साथ साथ मिले 
ख़ुशी मिली - पर कभी अकेली नहीं .

आओ स्वागत करें -
इस मुस्कुराती शाम का
उजाला जा रहा है रोक लो - 
अब ये मेरे किस काम का .


सुबह होगी तो - सब जान जायेंगे 
ये सूरज भी - निकल आएगा .
बादलों की ओट में - आखिर 
कोई इसे कब तलक छुपायेगा .


रहने की चाह थी - मगर रहने नहीं दिया 
कहने को बहूत था मगर कहने नहीं दिया 
अनुबंध के घर या की दिल की शर्त है यही 
अवधि ख़तम पैसे ख़तम तो निकल जाइये .


ना ये भाग्य से मिली उन्हें -
ना मिली उन्हें जो थे खेल में . 
बडी कीमती थी स्वतंत्रता - 
गधों को मिल गयी 'सेल' में .


जिन्दगी खेल थी - 
गुज़र गयी खेल खेल में 
कठिन पढ़ाई थी - बीत गयी 
नतीजे और - इस पास फेल में .


बिगाड़ लो जो बिगाड़ना है 
करूँ वही जो मन भाया 
उखाड़ लो जो उखाड़ना है 
लो पप्पू स्वीडन घूम आया .


प्यार गर ज्यादा नहीं
तो यार कम ही सही .
जब करना ही है 
तो फिर कोई और क्या 

हम ही सही .

इतना कमजोर भी नहीं हूँ - 
जो तुमसे सुलह की बात करूं .
युद्धविराम नहीं हुआ है अभी 
क्यों ना तुमसे दो दो हाथ करूं .


ना सही हुकूमते हिन्द -
कमसे कम 'वो' तो वहां थे 
अरे जब मोदी जी वहां थे - 
तो देश के बाकी सीएम कहाँ थे ?
 

सत्ता की कुर्सी से दूरी 
लड़ना है चुनाव जरुरी 
मोदी का विरोध मुखर हो  
कांग्रेस की है मज़बूरी .


अब तो मेरे लाल उतर जा 
चढ़े रहोगे कबतक गोदी .
चुप होजा अब रो ना ज्यादा 
वर्ना आ जाएगा मोदी .


हाय हाय -अब गयी हाथ से 
निकली कुर्सी बहूत पास से 
अम्मा मेरी रोको इसको -
आम आदमी कह बहकाया 
मोदी तो हैं बहूत ख़ास से .


गाँधी नेहरु त्याग बावले 
मत कर इनको देश हवाले
जाओ मोदीजी से कह दो 
उठे पार्थ गांडीव सम्भाले .

जिन्दगी लट्टू सा 
घुमाती रही - 
ना कहीं पहुंचना था 
ना कभी पहुंचे कहीं .

ये द्वार - 
किसने खटखटाया था 
अभी यहाँ कौन आया था .
हवा या तुम - या 
फिर तुम्हारा ख्याल .

ना हकीकत - ना फ़साना था 
ये नए दौर का ज़माना था - 
एक दौड़ थी - अंधी जिसमे 
जिन्दगी जी तोड़ कमाना था .

ना मिले कुछ तो सबर करिए 
ना मिले ठौर तो सफ़र करिए .

पहले इंसान तो बनले बादमे करना शिकार 
महूब्ब्त सीख ले पहले ओ भोंदू राजकुमार .
वो जो सीमा पे खड़ा होके करता ललकार - 
तिरंगे में लिपटा हुआ है देशका प्यार दुलार .

शहर में नीम अन्धेरा - और रौशनी की दरकार 
ये मरघट के दिए जलते हुए अच्छे नहीं लगते .

ख्वाब देखना ही है 
तो फिर ऐसा देखो 
जो हकीकत में हो - 
और हकीकत सा लगे .

ऐसे सपने जो कभी हो जाएँ सच
मैं कहता हूँ ऐसे सपनों से बच .
है बहूत भीड़ यहाँ बचके निकल 
कहीं दिलसे दिल ना हो जाए टच .

पिज्जा बर्गर अब जाने दे 
तू देसी खीचड़ी खा प्यारे .
मैया - भैया में क्या रखा -
मोदी मोदी चिल्ला प्यारे .

जाने कैसा ये मौसम है 
जिस बारिश में हम भीजें है . 
ना दारु है ना पिज्जे है 
ना ढोल कहीं ना डीजे है .
फिर भी क्या है इस मोदी में 
जाने क्यों हम इसपर रीझे हैं .










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