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उबासी सत्यानाश आ गयी .
घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
Tuesday, June 11, 2013
आदमी देखो जरा सा .
आँधियों तूफ़ान में
निश्चल खड़ा सा
बीहड़ बियाबाँ में
पसरा पडा सा
हैं इरादे पर्वतों की चोटियाँ
और आदमी देखो जरा सा .
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