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Tuesday, June 11, 2013

बड़े आये थे रहने को - गए सब भूतनी वाले

बड़े आये थे रहने को -
गए सब भूतनी वाले -
चले जायेंगे ये भी - जरा
थम जाओ पल तो पल
अभी से यार इनको -
भेजने की जिद नहीं करते .

किरायेदार बन आये -
जो मेहमाँ बनके रहने थे
मकान मालिक बने बैठें हैं
किसी से क्या कहें यारो
किसी से कुछ नहीं कहते
बड़े कड़के हुए हैं हम
और सड़कों पे रहते हैं .

नजर अब तो सवाली हैं -
मायके ले गयी सब माल
ना असबाब कुछ छोड़ा -
पलास्टर तक खुरच डाला
बड़ी बदरंग दीवारें हो गयी
अपने मकानों की .

बड़े कमजोर से हैं हम
किराया मिल नहीं सकता
लड़ाई कर नहीं सकते
दबंगई का है ये आलम
कड़ाई कर नहीं सकते .

यही है रास्ता बाकी
बहुमत भी बना लेंगे
इन्हें हम वोट के जरिये
(मकाँ घर देश की छोडो )
दिलों से हम निकालेंगे .

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