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Sunday, December 9, 2012

क्षणिकाएँ

हम तो खानाबदोश ठहरे यार
सोचना क्या - उठे और चल दिए .
कौनसे फटे जखम है सिलने को .
चले आयेंगे किसी दिन यूँही -
भटकते हुए तुमसे मिलने को .

इतना मुश्किल नहीं - हमको ना ढून्ढ पाओ 
मिलने की जिद है तो बेधडक - चल आओ .

हकीकत हूँ - ना कोई ख्वाब हूँ 
अपने वजूद का मैं खुद जवाब हूँ .

रावन की लंका बसी - राक्षस करते मौज 
ये वोटर की भीड़ भी बिना राम की फ़ौज .

अनुभव मेरे कह रहे - माने या ना मान 
वोटो से तो जीतना - झूठा है अरमान .
जिन्दा है वो मेनका -भंग ऋषि का ध्यान 
जनता भोली भेड है - खूँटी सोवो तान .

लूट मची है बावले - लूटा जाए सो लूट 
पूरा जिन्दा देश है - इटली तक की छूट .
कोई रोके ना तुझे - टोक सके ना कोय 
अन्ना बीती बात है अम्मा करे सो होय .

क्यों डरें - इस भाग्य से जो अनपढ़ा है .
जीत का पत्थर अभी ये अनगढ़ा है .
छेनियों की धार से डरना मना है -
खुद - खुदा होना न कोई कल्पना है

जीतने वालों को ही नहीं - मिलते 
हारने वालों को भी 'हार' मिलते हैं .
मदारी के मजमे में भीड़ है लेकिन 
लोग हमसे भी बाहें पसार मिलते हैं .

रेशमी सी डालियाँ - नाजुक तने हैं
चीडवन में आंधियां - जंगल घने हैं 
हार जाना भाग्य में लिखा नहीं है 
जीतने के वास्ते हम-तुम बने हैं .

रात अपने निशाँन छोड़ गयी 
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की  - 
एक खाली मकान छोड़ गयी .

कब तलक बैठ के कोसोगे उन्हें 
नींद आ जायेगी यार सो जाओ .

जिन्दगी कुछ नहीं - 
खाली हिसाब होती है .
जमा घटा की बस -
एक किताब होती है .
पढ़ सको तो - पढो 
गर समझ में आ जाए .
जमाना तो - अनपढ़ों की 
जमात होती है .

यूँ तेवर और भी कड़े कर लेता 
मैं सांचे और नए गढ़ लेता .
डर है मोम हूँ - तेज़ साँसों से 
पिघल ना जाऊं कहीं . 

नूर का तेज़ ना चेहरा - 
ये आफताब सा है .
सबके सब इक्साँ - हैं यार 
फर्क बस हिजाब का है .

बातों से - कुछ नहीं बदलने वाला 
कदम दो ये कारवां नहीं चलने वाला .
शीर्ष पर दिख रहे मक्कार हैं सब . 
देश इस तरह से नही चलने वाला .

देखने में सबके जैसा लगता हूँ 
मैं फ़रिश्ता नहीं आदमी हूँ यार .

कोई भी पढ़ ना सका 
लेख लिखे जो मिले 
अनवरत - भागते से 
हर सिलेसिले मिले .
यकीं हो तो - कह दूं यार 
हमेशा अपनी तनहाइयों से 
सब जरा घिरे मिले .

स्मृतियों के पात पीले पड गए 
तितलियों के पंख सारे झर गए .
वेदना ऐसी लिखी इतिहास ने 
वक्त से पहले इरादे - मर गए .

यूँही कोई आ गया - 
भरम से .
बहारें लौट आयी यार - 
कसम से .


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