हम तो खानाबदोश ठहरे यार
सोचना क्या - उठे और चल दिए .
कौनसे फटे जखम है सिलने को .
चले आयेंगे किसी दिन यूँही -
भटकते हुए तुमसे मिलने को .
इतना मुश्किल नहीं - हमको ना ढून्ढ पाओ
मिलने की जिद है तो बेधडक - चल आओ .
हकीकत हूँ - ना कोई ख्वाब हूँ
अपने वजूद का मैं खुद जवाब हूँ .
रावन की लंका बसी - राक्षस करते मौज
ये वोटर की भीड़ भी बिना राम की फ़ौज .
अनुभव मेरे कह रहे - माने या ना मान
वोटो से तो जीतना - झूठा है अरमान .
जिन्दा है वो मेनका -भंग ऋषि का ध्यान
जनता भोली भेड है - खूँटी सोवो तान .
लूट मची है बावले - लूटा जाए सो लूट
पूरा जिन्दा देश है - इटली तक की छूट .
कोई रोके ना तुझे - टोक सके ना कोय
अन्ना बीती बात है अम्मा करे सो होय .
क्यों डरें - इस भाग्य से जो अनपढ़ा है .
जीत का पत्थर अभी ये अनगढ़ा है .
छेनियों की धार से डरना मना है -
खुद - खुदा होना न कोई कल्पना है
जीतने वालों को ही नहीं - मिलते
हारने वालों को भी 'हार' मिलते हैं .
मदारी के मजमे में भीड़ है लेकिन
लोग हमसे भी बाहें पसार मिलते हैं .
रेशमी सी डालियाँ - नाजुक तने हैं
चीडवन में आंधियां - जंगल घने हैं
हार जाना भाग्य में लिखा नहीं है
जीतने के वास्ते हम-तुम बने हैं .
रात अपने निशाँन छोड़ गयी
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की -
एक खाली मकान छोड़ गयी .
कब तलक बैठ के कोसोगे उन्हें
नींद आ जायेगी यार सो जाओ .
जिन्दगी कुछ नहीं -
खाली हिसाब होती है .
जमा घटा की बस -
एक किताब होती है .
पढ़ सको तो - पढो
गर समझ में आ जाए .
जमाना तो - अनपढ़ों की
जमात होती है .
यूँ तेवर और भी कड़े कर लेता
मैं सांचे और नए गढ़ लेता .
डर है मोम हूँ - तेज़ साँसों से
पिघल ना जाऊं कहीं .
नूर का तेज़ ना चेहरा -
ये आफताब सा है .
सबके सब इक्साँ - हैं यार
फर्क बस हिजाब का है .
बातों से - कुछ नहीं बदलने वाला
कदम दो ये कारवां नहीं चलने वाला .
शीर्ष पर दिख रहे मक्कार हैं सब .
देश इस तरह से नही चलने वाला .
देखने में सबके जैसा लगता हूँ
मैं फ़रिश्ता नहीं आदमी हूँ यार .
कोई भी पढ़ ना सका
लेख लिखे जो मिले
अनवरत - भागते से
हर सिलेसिले मिले .
यकीं हो तो - कह दूं यार
हमेशा अपनी तनहाइयों से
सब जरा घिरे मिले .
स्मृतियों के पात पीले पड गए
तितलियों के पंख सारे झर गए .
वेदना ऐसी लिखी इतिहास ने
वक्त से पहले इरादे - मर गए .
यूँही कोई आ गया -
भरम से .
बहारें लौट आयी यार -
कसम से .
सोचना क्या - उठे और चल दिए .
कौनसे फटे जखम है सिलने को .
चले आयेंगे किसी दिन यूँही -
भटकते हुए तुमसे मिलने को .
इतना मुश्किल नहीं - हमको ना ढून्ढ पाओ
मिलने की जिद है तो बेधडक - चल आओ .
हकीकत हूँ - ना कोई ख्वाब हूँ
अपने वजूद का मैं खुद जवाब हूँ .
रावन की लंका बसी - राक्षस करते मौज
ये वोटर की भीड़ भी बिना राम की फ़ौज .
अनुभव मेरे कह रहे - माने या ना मान
वोटो से तो जीतना - झूठा है अरमान .
जिन्दा है वो मेनका -भंग ऋषि का ध्यान
जनता भोली भेड है - खूँटी सोवो तान .
लूट मची है बावले - लूटा जाए सो लूट
पूरा जिन्दा देश है - इटली तक की छूट .
कोई रोके ना तुझे - टोक सके ना कोय
अन्ना बीती बात है अम्मा करे सो होय .
क्यों डरें - इस भाग्य से जो अनपढ़ा है .
जीत का पत्थर अभी ये अनगढ़ा है .
छेनियों की धार से डरना मना है -
खुद - खुदा होना न कोई कल्पना है
जीतने वालों को ही नहीं - मिलते
हारने वालों को भी 'हार' मिलते हैं .
मदारी के मजमे में भीड़ है लेकिन
लोग हमसे भी बाहें पसार मिलते हैं .
रेशमी सी डालियाँ - नाजुक तने हैं
चीडवन में आंधियां - जंगल घने हैं
हार जाना भाग्य में लिखा नहीं है
जीतने के वास्ते हम-तुम बने हैं .
रात अपने निशाँन छोड़ गयी
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की -
एक खाली मकान छोड़ गयी .
कब तलक बैठ के कोसोगे उन्हें
नींद आ जायेगी यार सो जाओ .
जिन्दगी कुछ नहीं -
खाली हिसाब होती है .
जमा घटा की बस -
एक किताब होती है .
पढ़ सको तो - पढो
गर समझ में आ जाए .
जमाना तो - अनपढ़ों की
जमात होती है .
यूँ तेवर और भी कड़े कर लेता
मैं सांचे और नए गढ़ लेता .
डर है मोम हूँ - तेज़ साँसों से
पिघल ना जाऊं कहीं .
नूर का तेज़ ना चेहरा -
ये आफताब सा है .
सबके सब इक्साँ - हैं यार
फर्क बस हिजाब का है .
बातों से - कुछ नहीं बदलने वाला
कदम दो ये कारवां नहीं चलने वाला .
शीर्ष पर दिख रहे मक्कार हैं सब .
देश इस तरह से नही चलने वाला .
देखने में सबके जैसा लगता हूँ
मैं फ़रिश्ता नहीं आदमी हूँ यार .
कोई भी पढ़ ना सका
लेख लिखे जो मिले
अनवरत - भागते से
हर सिलेसिले मिले .
यकीं हो तो - कह दूं यार
हमेशा अपनी तनहाइयों से
सब जरा घिरे मिले .
स्मृतियों के पात पीले पड गए
तितलियों के पंख सारे झर गए .
वेदना ऐसी लिखी इतिहास ने
वक्त से पहले इरादे - मर गए .
यूँही कोई आ गया -
भरम से .
बहारें लौट आयी यार -
कसम से .
No comments:
Post a Comment