सभी संगी साथी तो हैं पर -
आज वो नहीं देती दिखाई .
लगता है - वो पागल लड़की
आज - सचमुच नहीं आयी .
घरके न्यूज़ चैनल की -
खबरची -
एक नम्बर की चुगलखोर .
मेरे इरादों को - क्रियान्वित
होने से पहले - मेरे सारे
चक्रव्यूह के भंडे देती है फोड़ .
हर बात में नमक मिर्च -
से बघार लगाती - जाने
कैसे मुझसे पहले - मेरी
शैतानियाँ के कच्चे चिट्ठे
सविस्तार घर पहुंचाती .
आज बड़ी राहत है -
दूर दूर तक उसकी नहीं
कोई आहट है .
पर ये मेरे तुम्हारे -
दिलका कोरा वहम है .
ये बात पक्की है -
वो नहीं होते हुए भी - यहीं हैं
यहाँ वहां ना दीखते हुए भी
वो हरामखोर - हर कहीं हैं .
कल के पेपर में मेरी सारी -
स्याही घुली मिलेगी .
देख लेना मेरी सारी -
कच्ची कलई -
पूरी तरह खुली मिलेंगी .
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