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Wednesday, September 7, 2011

एक उपवन होगा - मन में एक सपना था

एक उपवन होगा -
मन में एक सपना था
फूलों का देश होगा .
अपना - केवल अपना
परिवेश होगा .

मैंने तो केवल - चंद
फूल बोये थे - 
ये केक्टस ,नागफनी -
कहाँ से उग आये .
कोई अमरबेल -क्यों ना
इन पर बेतरह छा जाए .

कोई राह पूंछता हुआ -
क्यों ना यहाँ आ जाए .
यहीं रह जाए और - हमारे
दिलों पर छा जाए .

हम भूल जाएँ - की
हम बरगद के बूढ़े -दरख्त
नदी किनारे के पेड़ हैं .

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