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Saturday, September 10, 2011

तेरे सामने -हमारी आखिर हस्ती क्या है

तेरे सामने -हमारी
आखिर हस्ती क्या है -
तेरे वैकुण्ठ के सामने - हम
इंसानों की बस्ती क्या है .

हमारी औकात क्या है - तेरे
सामने चींटी का वजूद भले हो -
हमारी बिसात क्या हैं .

मन में अहम् -भाव
आता तो होगा - तू ही
कर्ता तू ही करतार  -
करता है सबका बेडा पार .

तेरे मन में क्या होता है -
तब सचसच कह दे यार .
पर नहीं - तू तो करतार है
कर्ता कहाँ है - कर्ता  भी हम हैं
और भर्ता भी हम हैं .

तू कहाँ किस कारण में आता है .
करोड़ों हाथों का सञ्चालन
करके भी तेरा हाथ कब और
कहाँ - पहचाना जाता है .

पर नहीं हैं हम - कृत्घन
तेरे किये अच्छे के गुण गाते हैं .
बुरा हो जाए तो अपने कर्मों- या
तकदीर को दोषी बताते हैं .



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