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Tuesday, September 6, 2011

अकेले ही - तय करने होते हैं

अकेले ही -
तय करने होते हैं
धुल भरे - उबड़खाबड़ रास्ते.
जिन्दगी के .

जहाँ ना आज का पता है
ना कल की खबर .
आने वाले कल की चिंता में
मर जाते हैं - गुजर जाते हैं
इस पर चलते चलते -लोग

कहाँ से आते हैं - और
फिर ना जाने कहाँ चले जाते हैं -
लोग - ये जिन्दगी की सड़क
एक अनंत - और अनवरत
कभी ना ख़त्म होने वाला-
सफ़र है जिन्दगी  . 


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