किसी ने स्नेह विह्ल हो कहा -
हमें यूँ अकेले छोड़ कर- मत
जाना -कभी पार .
कभी मत जाना - तुम
क्षितिज के उस पार -जब
तुम्हारा यहीं - बसता है
सकल प्रेम संसार .
सोचता हूँ - कैसे जा सकूंगा
उस महाप्रयाण पर -
तुमसे मिल के आज जाना -
बंधन मुक्त होना-
कितना कठिन है यार .
हमें यूँ अकेले छोड़ कर- मत
जाना -कभी पार .
कभी मत जाना - तुम
क्षितिज के उस पार -जब
तुम्हारा यहीं - बसता है
सकल प्रेम संसार .
सोचता हूँ - कैसे जा सकूंगा
उस महाप्रयाण पर -
तुमसे मिल के आज जाना -
बंधन मुक्त होना-
कितना कठिन है यार .
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