Popular Posts
नए साल की नयी कहानी
नए साल की नयी कहानी मैंने सुनी न तूने जानी -क्या करना है हमको प्यारे - तेरी मेरी एक जुबानी क्या ले लेगी हमसे यारो ये महंगाई -जियें म...
मन को उन्मुक्त छोड़ दो
मन को उन्मुक्त छोड़ दो इसे किसी भी दिशा में जाने दो . दसों दिशाओं में यूं ही चक्कर लगाने दो . जबरन -हठात कैद मत करो जो जाता है -उसे ...
(no title)
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है - बचने की भला अब किसको आस है अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
Wednesday, April 4, 2012
बात करता है बहूत ख़ास
बात करता है बहूत ख़ास -
बात आम नहीं करता
.
इस देश में - जिसका जो काम है
बस वही - वो काम नहीं करता .
संत्री से प्रधान मंत्री तक
संसद से सड़क तक -
जनपथ से - राजपथ तक
लोग खड़े - बैठे लेटे या
इंडिया गेट के लान में
पड़े पड़े - सुस्ता रहें हैं .
हंस - रोरहे - गा रहें हैं .
सिगरेट बीडी फूंक रहें हैं -
या खैनी खा रहें हैं .
पर वो नहीं कर रहे - जिसका
वेतन या पगार पा रहें हैं .
हाथों में डंडे- झंडे लिए
नारे लगा रहें हैं -
हम विधवाओं की -
मांग भरो / पूरी करो .
बस मांग ही मांग हैं -
सारे के सारे - मदारी हैं
भाई वाह क्या स्वांग है .
मांग पूरी करो - वर्ना मर रहे हैं
कल से रामलीला मैंदान में
सत्याग्रह कर रहें हैं -
ये
अनशन - कोढ़ में
छिपी खाज है .
कोई क्या बिगाड़ लेगा -
सरकार
किसी भी पार्टी की हो -
पर देश में
अपना ही तो राज़ है .
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment