Popular Posts

Tuesday, April 10, 2012

एक जंगल बियाबान

 एक जंगल बियाबान -
दूर दूर तक  - नहीं कोई इंसान  
जहाँ एक भूतिया मकान .
चलो निकल चलें - यहाँ से 
सच में बहूत डर लगता है .

दिन की रौशनी में - 
बहूत सुंदर है ये कानन .
स्वर्ग का सा मंजर लगता है . 
रात के लम्बे होते सायों में 
यहाँ यार बहूत डर लगता है .

रात की बाहों में सोता शहर 
कितना सतरंगी - धरती आस्मां .
पर उषा की लालिमा- भ्रम तोडती है 
रात के सपने को - सुबह से जोडती है .

अपनी गर्मी से पिघलता - शीशे
सा नसों में ढलता - रास्ते मंजिले 
जिस्म में खो जाती है - ये रातें 
शैतानी आंत से भी - कहीं 
ज्यादा लम्बी हो जाती हैं .

ना कहीं चैन ना कहीं त्राण
उजड़ा उजड़ा सा - यहाँ 
पूरे दिन का विधान .
क्या इसीको - आप 
शहर कहते हैं -  श्रीमान .  
  

1 comment:

  1. बढ़िया प्रस्तुति । आभार ।।

    ReplyDelete