समंदर की रुष्ठता से डर -
उत्ताल लहरों से मत खेल .किसी दरिया की रवानगी
को तो पहले झेल .
रोज़ रोज़ के तुफानो से बच
मेरी बात मान - बेजुबाँ नदी
खामोश ताल के किनारे -
कहीं कोई अपना घर ले .
धारा के विरुद्ध - लड़ना
आसान कहाँ होता है .
सबसे पहले - इंसान
अपना वजूद खोता है -
हार जीत का फैसला तो
उसके बाद होता है .
मैं नहीं 'हम' कहो - तो
संभवत : विजय पा लो .
वर्ना विदेशी बैरी को -
निमंत्रण दे कर
पहले ही बुलवा लो .
नहीं जानता सही - या गलत
जैसी धारणा - ये किताबी बातें .
दुश्मन की कुनीतिया -आत्मघाती
राजनीति - की घातें .
छोड़ ज्यादा सोच विचार -
मन में छिपे डर को मार .
देसी डोंगी जैसी ही सही -
नाव बना - और एक मुश्त
समंदर की लहरों में -
चुपचाप उतर जा .
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