मजारों पे जलता दीया ढूँढता हूँ
हर इंसामें मैं एक खुदा ढूँढता हूँ .
ये आदम की बस्ती - में हमसे हजारों
नहीं मिलता कोई -किसे मैं पुकारूँ
तुफानो में मैं - नाखुदा ढूँढता हूँ.
सिकंदर बहूत हैं - कलंदर नहीं हैं
प्रभु हो जहाँ ऐसे - मंदिर नहीं हैं.
हूँ भटका हुआ - रास्ता पूछता हूँ .
ये पीड़ा की कश्ती - मिले ठौर कैसे
इस काली अमा को - मिले भौर कैसे
तारों से - सुबह का पता पूछता हूँ .
जहाँ - में ये मेरा वतन खो गया है.
अभी तो यहीं था - अब ना जाने कहाँ हैं
हर नक़्शे में - मैं हिन्दुस्तां ढूँढता हूँ .
जो टूटे भ्रम - साथ तुम मेरे आओ
हरेक देशवासी की पीड़ा - बटाओं
मैं कदमो के अपने निशाँ ढूँढता हूँ .
हर इंसामें मैं एक खुदा ढूँढता हूँ .
ये आदम की बस्ती - में हमसे हजारों
नहीं मिलता कोई -किसे मैं पुकारूँ
तुफानो में मैं - नाखुदा ढूँढता हूँ.
सिकंदर बहूत हैं - कलंदर नहीं हैं
प्रभु हो जहाँ ऐसे - मंदिर नहीं हैं.
हूँ भटका हुआ - रास्ता पूछता हूँ .
ये पीड़ा की कश्ती - मिले ठौर कैसे
इस काली अमा को - मिले भौर कैसे
तारों से - सुबह का पता पूछता हूँ .
जहाँ - में ये मेरा वतन खो गया है.
अभी तो यहीं था - अब ना जाने कहाँ हैं
हर नक़्शे में - मैं हिन्दुस्तां ढूँढता हूँ .
जो टूटे भ्रम - साथ तुम मेरे आओ
हरेक देशवासी की पीड़ा - बटाओं
मैं कदमो के अपने निशाँ ढूँढता हूँ .
हर नक़्शे में - मैं हिन्दुस्तां ढूँढता हूँ .
ReplyDeleteसुन्दर!
ati sundar sir
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