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Monday, November 7, 2011

सारे के सारे आज अन्ना हो गएँ हैं क्या

बेखबर दुनिया से यारो - बेखबर से हम .
ना कोई मिलने की ख़ुशी - ना बिछुड़ने का गम .
दिवाली - कभी तो ईद - कभी कोई खाली वार
बेमज़ा ख़बरें भरी हैं - अब क्या पढ़ें अखबार .

ढूँढें किसी को जाके कोई  - खो गया है क्या
बेख़ौफ़ कहीं जाके कोई - सो गया है क्या .
मेरा वतन क्या आज लन्दन हो गया है क्या .
सारे जहाँ को यार जाने हो गया है क्या .

किस्मत तुम्हारी ठीक थी - जो बच गए हो यार
बादल मेरी तकदीर जाने धो गया है क्या .
बहकी हुई -सी बात जाने कैसे कह गया
शायद ना जाने आज मुझको - हो गया है क्या .

बाकी ना कोई शय बची पूरे मौहल्ले में
मैदाने रामलीला में अनशन हो गया है क्या .
संता नहीं बंता नहीं - पंडित ना मौलवी
सारे के सारे आज अन्ना हो गएँ हैं क्या . 

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