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Saturday, July 23, 2011

आपके मौन को - शब्द दे सकूं

आपके जज्बात -
आप ही के मन की बात.
आपके मौन को - शब्द दे सकूं .
बस यही चाहता हूँ  .

मैं अलग नहीं  - खुद को
आपके भीतर -
आपमें ही कहीं देखना -
महसूस करना चाहता हूँ .

पता नहीं क्या हूँ - और
क्या करना चाहता हूँ -आपमें
ही कहीं छुप कर रहना चाहता हूँ .
आप समझ रहें हैं ना- मैं
क्या कहना चाहता हूँ .

अलग अलग भूमिका में -
हर बार  - इस संसार पट
पर दीखते रहना चाहता हूँ .

मैं हर किसी - हर एक में
रहूँ भी - और उसका हिस्सा
बन जाऊं - चाहे अपनी या
तुम्हारा कहानी- किस्सा बन जाऊं .

मौत से बहूत डरता हूँ -
जिन्दगी से अथाह प्यार करता हूँ .
तुम्हारे भीतर - तुम्हारी सोच में
रहूँगा तो - यकीन है
फिर मरूँगा नहीं .

शायद तुम्हारी याद में - तुम्हारी
हर बात में - जिन्दा रहूँ तो
अमर हो जाऊंगा  - जीते जी भी
और मर जाने के बाद भी .

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