प्रेम कहीं नहीं - बस
घूँट दर घूँट गरल.
हर कहीं - बिखरे हुए से हम .
बीत जाती है उम्र -समेटने में
जिन्दगी की कथा - नहीं
होती सीधी और सरल .
चलो पत्ते पे पड़ी -
शबनम की बूँद - सावधानी से
उठा ले - मिले जो फुर्सत तो
थोडा हंसले- गालें.
बुरा ना माने तो इन -छोटी छोटी -
दूर होती हुई खुशियों के -
बुझते दीये फिर से जला लें .
अब आपसे क्या कहें - कल के
बच गए बासे ग़मों पर -खोखली
हंसी हंस लें -झूठे ही सही -
जी भर के कहकहे लगा लें .
कल का क्या है - कल तो काल
का नाम है- एक रोज आएगा जरुर .
फिर भी - बेईमान होती
इस जिन्दगी को - उजड़ने से
कुछ तो बचा लें .
घूँट दर घूँट गरल.
हर कहीं - बिखरे हुए से हम .
बीत जाती है उम्र -समेटने में
जिन्दगी की कथा - नहीं
होती सीधी और सरल .
चलो पत्ते पे पड़ी -
शबनम की बूँद - सावधानी से
उठा ले - मिले जो फुर्सत तो
थोडा हंसले- गालें.
बुरा ना माने तो इन -छोटी छोटी -
दूर होती हुई खुशियों के -
बुझते दीये फिर से जला लें .
अब आपसे क्या कहें - कल के
बच गए बासे ग़मों पर -खोखली
हंसी हंस लें -झूठे ही सही -
जी भर के कहकहे लगा लें .
कल का क्या है - कल तो काल
का नाम है- एक रोज आएगा जरुर .
फिर भी - बेईमान होती
इस जिन्दगी को - उजड़ने से
कुछ तो बचा लें .
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