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Wednesday, August 24, 2011

चलो बहूत हुई रामलीला

चलो बहूत हुई रामलीला  -
अब मैदान खाली करो.
मदारी की मौज -
और बंदरों की फ़ौज -
लंका की चढाई - अरे 
कोई कम तो नहीं है भाई. 

पर शुक्र है - अभी बादल है
पुरवा चल रही हैं .
जोश की बदलियाँ  - उमड़ घुमड़
समन्दर से - अभी भी
जल भर रही हैं .

वो देखों - अंधेरों से जो
पुरजोर लड़ाई लड़ रहें हैं .
लोग कहते हैं - ये जुगनू
सूरज के सामने -सरेआम
आत्मदाह कर रहें हैं . 

पर कुछ तो बात है - तीर
तुणीर सजे हैं -हर अर्जुन के
चाहे पांडवों के दो सौ - नहीं
बस दस हाथ हैं - विजयश्री
पक्की है - अरे हाँ श्रीकृष्ण
जैसा सारथि भी -तो उनके साथ है .



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