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Tuesday, August 23, 2011

ये भी अजीब पागल हैं

ये भी अजीब पागल हैं -
कौरव पांडवों से - सत्ता के
गलियारे में कुश्ती कर रहें हैं .
अच्छे खासे जिन्दा हैं -फिर भी
ना जाने -किस बात के लिए मर रहें हैं .

और ये अवाम - सुबह से शाम
रोती धोती - कब से सिसक रही है .
जिन्दा सी लगती तो है - पर
पल पल मर रही है - कैसी कैसी
उम्मीदें पाली थी - ना जाने क्या कर रही है .

कोई तरकीब ढून्ढ - अपनी औकात जता
नहीं चाहिए  चंद सिक्के - या क्षणिक नशा.
नकली राजा को - असली राजा की
एक बार तो ताकत दिखा .
प्रजा राजा की परिभाषा - एक बार
फिर से तो लिख जरा .

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