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(no title)
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Sunday, August 14, 2011
करोड़ों बंद मुठ्ठियाँ
करोड़ों बंद मुठ्ठियों की ताकत
करती है इंतज़ार - बरसों से .
मसीहा कोई कहीं से -
आये तो सही -और हममे
छिपी ताकत का अहसास
-
कोई दिलवाए तो सही.
स्वयं को भूल चुके हम लोगों को
अपने आप से -कोई मिलवाये तो स
ही.
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