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चोट लगती है फूल से भी यार
चोट लगती है फूल से भी यार फूल पत्थर की तरह फैंको मत सुर नहीं साज नहीं आवाज़ नहीं अब यूँ गधों की तरह रेंकों मत . जिनावर ...
उबासी सत्यानाश आ गयी .
घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
तेरे इनकार में दम है .
किसीकी जात में दम है - किसीकी पांत में दम है. किसीकी दौलते चलती किसीके हाथ में दम है . ना तेरे प्यार में दम है ना मेरे प्यार में...
Sunday, August 14, 2011
करोड़ों बंद मुठ्ठियाँ
करोड़ों बंद मुठ्ठियों की ताकत
करती है इंतज़ार - बरसों से .
मसीहा कोई कहीं से -
आये तो सही -और हममे
छिपी ताकत का अहसास
-
कोई दिलवाए तो सही.
स्वयं को भूल चुके हम लोगों को
अपने आप से -कोई मिलवाये तो स
ही.
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