आस पास देखते भालते -
डन्डे में झंडा डालते -
बैठे बिठाये ना जाने
कैसे कैसे सपने पालते .
मदारी की मौज -
और पूरी फ़ौज .
नफीरी की धुन पर -
बंदर से नाचते.
जय विजय के नारे लगाते-
सुबह शाम आते जाते -
आखिर ये सब कौन हैं .
सवाल तो बहूत हैं -
पर अभी शासक मौन है .
डन्डे में झंडा डालते -
बैठे बिठाये ना जाने
कैसे कैसे सपने पालते .
मदारी की मौज -
और पूरी फ़ौज .
नफीरी की धुन पर -
बंदर से नाचते.
जय विजय के नारे लगाते-
सुबह शाम आते जाते -
आखिर ये सब कौन हैं .
सवाल तो बहूत हैं -
पर अभी शासक मौन है .
bahut khoob sir
ReplyDelete