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Tuesday, July 12, 2011

दस्तक है द्वार पर

दस्तक है द्वार पर - सिंह की पुकार पर ,
सोचना फिर कभी - शत्रु पर प्रहार कर .
ठाड़ा नहीं है सिंह - भय अरण्य पार कर
मरना गर है अभीष्ट -दुश्मन को मार कर .

कामना नहीं है मन्त्र - लड़ना है एक तंत्र
चाहिए कोई जो यंत्र  - फिर से  विचार कर .
शूरवीर ना सही कर्मवीर बन के देख  -
पतझर के मौसम में - बहार से तकरार कर .

भीगा सा सावन है - लथपथ है कीचड से
दल के दल कमलदल- खिले हुए है खूब .
मौन हुआ गीत है - अस्फुट से स्वर आज
करकट सा बिखरा है - उसे तू बुहार कर .

छत पर कौवा बोला - कौन आज आएगा,
सुख दुःख तो साथी हैं -जाने क्या लाएगा .
वक्त तो मेहमा है आज - स्वागत मे कैसी लाज
आरती की थाली - तू अब तैयार कर .

1 comment:

  1. शूरवीर ना सही कर्मवीर बन के देख -

    सुन्दर प्रभावी सन्देश ||
    बधाई ||

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