दस्तक है द्वार पर - सिंह की पुकार पर ,
सोचना फिर कभी - शत्रु पर प्रहार कर .
ठाड़ा नहीं है सिंह - भय अरण्य पार कर
मरना गर है अभीष्ट -दुश्मन को मार कर .
कामना नहीं है मन्त्र - लड़ना है एक तंत्र
चाहिए कोई जो यंत्र - फिर से विचार कर .
शूरवीर ना सही कर्मवीर बन के देख -
पतझर के मौसम में - बहार से तकरार कर .
भीगा सा सावन है - लथपथ है कीचड से
दल के दल कमलदल- खिले हुए है खूब .
मौन हुआ गीत है - अस्फुट से स्वर आज
करकट सा बिखरा है - उसे तू बुहार कर .
छत पर कौवा बोला - कौन आज आएगा,
सुख दुःख तो साथी हैं -जाने क्या लाएगा .
वक्त तो मेहमा है आज - स्वागत मे कैसी लाज
आरती की थाली - तू अब तैयार कर .
सोचना फिर कभी - शत्रु पर प्रहार कर .
ठाड़ा नहीं है सिंह - भय अरण्य पार कर
मरना गर है अभीष्ट -दुश्मन को मार कर .
कामना नहीं है मन्त्र - लड़ना है एक तंत्र
चाहिए कोई जो यंत्र - फिर से विचार कर .
शूरवीर ना सही कर्मवीर बन के देख -
पतझर के मौसम में - बहार से तकरार कर .
भीगा सा सावन है - लथपथ है कीचड से
दल के दल कमलदल- खिले हुए है खूब .
मौन हुआ गीत है - अस्फुट से स्वर आज
करकट सा बिखरा है - उसे तू बुहार कर .
छत पर कौवा बोला - कौन आज आएगा,
सुख दुःख तो साथी हैं -जाने क्या लाएगा .
वक्त तो मेहमा है आज - स्वागत मे कैसी लाज
आरती की थाली - तू अब तैयार कर .
शूरवीर ना सही कर्मवीर बन के देख -
ReplyDeleteसुन्दर प्रभावी सन्देश ||
बधाई ||