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घोड़े यार फिसलते देखे डंकी सरपट चलते देखे जेठ दुपहरी तपती देखी हिमगिरी हमने जलते देखे अंधों की फूटी आँखों में का...
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सूने गुलशन को इस तरह सजाया जाए महक नही तो थोड़ा इत्र मिलाया जाए . टिकाऊ न सही कुछ देर तो जले यारो झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये . दु...
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मन को उन्मुक्त छोड़ दो इसे किसी भी दिशा में जाने दो . दसों दिशाओं में यूं ही चक्कर लगाने दो . जबरन -हठात कैद मत करो जो जाता है -उसे ...
सुन्दर सत्य अनमोल
ReplyDeleteआना है-जाना है, इस जगत को कहाँ खली रहना है
अभिलाषाओं की दौर में इस कदर अँधे हो गए हैं, कि
जुए खेलने की आदत पद ही गई।
बहुत सुन्दर गुरु जी