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दिल तुमसे कहता - पर कैसे कहता . तेरे साथ दूर तक बहता पर- कैसे बहता . दिल बेजुबाँ हैं - जिसकी जुबानं नहीं होती . गहरी नदी सी - दिल ...
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सूने गुलशन को इस तरह सजाया जाए महक नही तो थोड़ा इत्र मिलाया जाए . टिकाऊ न सही कुछ देर तो जले यारो झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये . दु...
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सुख यदि फल है ऊँचे दरखत का, तो तोड़ कर ला तो सही- पूरी दुनिया-जहान को दिखला तो सही इसकी कलम अपने उपवन में लगा तो सही . पर ये सच नहीं ...
सुन्दर सत्य अनमोल
ReplyDeleteआना है-जाना है, इस जगत को कहाँ खली रहना है
अभिलाषाओं की दौर में इस कदर अँधे हो गए हैं, कि
जुए खेलने की आदत पद ही गई।
बहुत सुन्दर गुरु जी