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नए साल की नयी कहानी
नए साल की नयी कहानी मैंने सुनी न तूने जानी -क्या करना है हमको प्यारे - तेरी मेरी एक जुबानी क्या ले लेगी हमसे यारो ये महंगाई -जियें म...
मन को उन्मुक्त छोड़ दो
मन को उन्मुक्त छोड़ दो इसे किसी भी दिशा में जाने दो . दसों दिशाओं में यूं ही चक्कर लगाने दो . जबरन -हठात कैद मत करो जो जाता है -उसे ...
(no title)
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है - बचने की भला अब किसको आस है अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
Wednesday, June 1, 2011
हमारा भी धर्म है
हमारा भी धर्म है -चाहे बोटी-रोटी रुमाली मत दो
हाँ जी हम कुत्ते हैं - पर गद्दार को ये गाली मत दो .
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