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Thursday, June 2, 2011

क्रांति और क्रांति की भ्रान्ति

 क्रांति और क्रांति की भ्रान्ति -में
फर्क समझ - क्रांति एक उफान है
धीरे धीरे - सुगबुगाहट -बुदबुदाहट
फिर आहट - फिर तूफ़ान आता है .
प्रायोजित कार्यक्रमों से - सिर्फ 
प्याले में पल भर को भाप उठती है - 
और सारा जोश ठंडा हो जाता है .

जिसे भूख से मरना है - चुपचाप
मर जाता है -चीख चीख कर
ढिंढोरा पीट पीट के -मुनादी
नहीं करता आओ- और भूखा
मरने से पहले मुझे बचा लो .
क्रांति -कोई दाल-भात नहीं है यार
जब दिल करे-बना लो खा लो .

फिर बाबा ही क्यों - ?
खुद पर्दों में छुप कर उसे क्यों-
उकसाते और जोश दिलाते हो -
सच्ची हमदर्दी है तो -खुद
सामने क्यों नहीं आते हो .

क्रांति किसी एक फकीर की
जिम्मेदारी नहीं - सबको
सामने लाना होगा - रोकने वाले
कम पड़ जायेंगे - बड़े से बड़े
पत्थर सरक जायेंगे - जिस दिन
हम -तुम -वो , सब सामने आयेंगे .

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