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Wednesday, January 16, 2013

क्षणिकाएँ

तू दिल के पास है फिर भी 
मैं तुझसे दूर आखिर क्यों .
सभी हम जानते फिर -  
क्यों तुझे भगवान् कहते हैं .

बड़ी मुश्किल से मिलते हैं 
जो दिल के पास हों इतने 
घडी भर को जुदा होना - 
जिन्हें दुश्वार हो जाए .

जुबाँ से कह नहीं सकता 
मगर चुप रह नहीं सकता 
कोई कुछ गलत ना समझे 
हमें जो प्यार हो जाए .

कुछ पात नए आये - कुछ पात झड गए 
ये नश्वर जिन्दगी है - वे सिद्ध कर गए .

तय तो यही था - 
आप मिल जाओगे 
एक दिन .
उस एक दिन की -
कबसे - इंतज़ार 
है मुझको .

हँसना नहीं भूला कभी 
हँसता हूँ आज भी .
कुछ अपनी - नादानी 
मुझे रोने नहीं देती .

है कुछ भी नहीं पास 
फिर भी मालामाल हूँ 
कुछ दोस्तों के वास्ते 
जिन्दा सवाल हूँ .

मरना नहीं मुझे - अभी 
जीना है चंद रोज़ .
आरजू के कट गए - दिन 
इंतज़ार बाकी है .

सदियों तलक गूंजेगी हंसी - कायनात में
जब मैं नहीं रहूँगा - यार सुन लिया करना .

तुझसे वादा था - मैं आज भी हंस लेता हूँ 
ये अलग बात है आँखों में नमी है लेकिन .

महूब्ब्त हो नहीं सकती ये तू जाने - खुदा जाने 
हकीकत में नहीं होगी - जिसे मुमताज कहते हैं .

की कोशिशें बहूत मगर - निकला ना कोई हल 
संसद में टलते कोड बिल बस आज नहीं कल .

क्या शहर गाँव - बिल्डिंगें उग आई खेत में 
कौशिश थी बहूत - तेल निकला ना रेत में .

ना हिन्द ही मिला ना हिन्दोस्तान का पता 
इंडिया में भारत ढूँढता रहता हूँ आजकल .

रात अपने निशाँन छोड़ गयी 
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की - 
एक खाली मकान छोड़ गयी .

महुब्बत की जो दिल में क्षीण सी रेखा है 
आज आ जाओ यार कल किसने देखा है .

पहले कहीं - ख़्वाबों में मुलाकात हो 
इससे पहले की आपसे रूबरू बात हो .

आग ही आग है - दामन को बचाऊं कैसे 
पर्दानशी हूँ मैं - सबके सामने आऊं कैसे .

बुरों में से - जरा सा अच्छा चुनना 
यार क्या इसी को चुनाव कहते हैं .

जो ढूँढता सहीमें - खुदा मिल गया होता 
उम्र भर ढूँढने से भी एक इंसान ना मिला .

बात मैं उनकी नहीं करता यार 
जिनकी नज़रों में प्यार कुछ भी नहीं . 
जाने क्यों वो रूठ गया है फिर भी 
मेरे मन में तो यार कुछ भी नहीं .

जिन्दगी तो सुबह शाम - आठों पहर 
फिर मौत का वक्त कौन सा है यार .

कौन है वो जो तुझे ख़्वाबों से जगा देता है 
माफ़ कर देना - कमसे कम मैं वो तो नहीं .

छुपा के रखा उसे हमने ऐसी जगह पर यार  
जहाँ से धुप भी खिड़की से झाँक सकती है .

आज फिर टूटने से बचा हूँ मैं 
किसी ने फिर से मुझको - 
खुदा के हवाले छोड़ दिया .

सजी है मंडियां दिलों की - सेल है यारो 
फिर भी टिकाऊ सा दिल नहीं मिलता .

किसी ने कहा - की तुम 
एक खुबसूरत अहसास हो .
बहूत दूर हूँ मैं तुमसे - फिर भी 
यहीं कहीं हो मेरे - 
दिल के बहूत पास हो .

यथार्थ की तेज़ धुप में -
चाहे कितने भी पाँव जलते हैं .
सच कोई छलावा नहीं है दोस्त 
ख्वाब कितने भी रंगी हों - 
पर सपने तो बस छलते हैं .

आज से सोच लिया है यारो -
यूँहीं चुपचाप रहना अच्छा है 
किसी से क्या कहें - कहें ना कहें 
सभी का मौन हमको तो अखरता है .

अपनी कश्ती संभाल कर रखना 
कौन जाने जलजला इधर आये 
वैसे पतवार - भी बेकार खरीदी हैं 
ना जाने उखडकर किधर जाए .

सुलह की बात वही करते हैं 
हिन्हें हम खेलने बुलाते हैं .
वो दुश्मनी से बाज आते नहीं 
और हम दोस्ती में मरे जाते हैं .

अंधेरों की चाहतें ना जाने और कितना लूटेगीं  . 
सब्र रख कहीं तो कोई उजाले की किरण फूटेगी .

मेरे पल पल की खबर रखने वालो 
अपने एक पल की खबर है तुमको .

आज कुछ और बात है शायद 
आज कुछ और लोग आयें हैं . 
उन्घते रहते थे ऐसे - लोगों को 
जाने कुछ लोग - जगा आयें हैं .

बड़े बदले बदले से लग रहे हो तुम 
हम भी कौशिश में हैं की बदल जाएँ .

आज जो चीखती कराहती हैं - बड़ी 
चुप थी कभी मेरी तन्हाईयाँ लेकिन .

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