तू दिल के पास है फिर भी
मैं तुझसे दूर आखिर क्यों .
सभी हम जानते फिर -
क्यों तुझे भगवान् कहते हैं .
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
जो दिल के पास हों इतने
घडी भर को जुदा होना -
जिन्हें दुश्वार हो जाए .
जुबाँ से कह नहीं सकता
मगर चुप रह नहीं सकता
कोई कुछ गलत ना समझे
हमें जो प्यार हो जाए .
कुछ पात नए आये - कुछ पात झड गए
ये नश्वर जिन्दगी है - वे सिद्ध कर गए .
तय तो यही था -
आप मिल जाओगे
एक दिन .
उस एक दिन की -
कबसे - इंतज़ार
है मुझको .
हँसना नहीं भूला कभी
हँसता हूँ आज भी .
कुछ अपनी - नादानी
मुझे रोने नहीं देती .
है कुछ भी नहीं पास
फिर भी मालामाल हूँ
कुछ दोस्तों के वास्ते
जिन्दा सवाल हूँ .
मरना नहीं मुझे - अभी
जीना है चंद रोज़ .
आरजू के कट गए - दिन
इंतज़ार बाकी है .
सदियों तलक गूंजेगी हंसी - कायनात में
जब मैं नहीं रहूँगा - यार सुन लिया करना .
तुझसे वादा था - मैं आज भी हंस लेता हूँ
ये अलग बात है आँखों में नमी है लेकिन .
महूब्ब्त हो नहीं सकती ये तू जाने - खुदा जाने
हकीकत में नहीं होगी - जिसे मुमताज कहते हैं .
की कोशिशें बहूत मगर - निकला ना कोई हल
संसद में टलते कोड बिल बस आज नहीं कल .
क्या शहर गाँव - बिल्डिंगें उग आई खेत में
कौशिश थी बहूत - तेल निकला ना रेत में .
ना हिन्द ही मिला ना हिन्दोस्तान का पता
इंडिया में भारत ढूँढता रहता हूँ आजकल .
रात अपने निशाँन छोड़ गयी
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की -
एक खाली मकान छोड़ गयी .
महुब्बत की जो दिल में क्षीण सी रेखा है
आज आ जाओ यार कल किसने देखा है .
पहले कहीं - ख़्वाबों में मुलाकात हो
इससे पहले की आपसे रूबरू बात हो .
आग ही आग है - दामन को बचाऊं कैसे
पर्दानशी हूँ मैं - सबके सामने आऊं कैसे .
बुरों में से - जरा सा अच्छा चुनना
यार क्या इसी को चुनाव कहते हैं .
जो ढूँढता सहीमें - खुदा मिल गया होता
उम्र भर ढूँढने से भी एक इंसान ना मिला .
बात मैं उनकी नहीं करता यार
जिनकी नज़रों में प्यार कुछ भी नहीं .
जाने क्यों वो रूठ गया है फिर भी
मेरे मन में तो यार कुछ भी नहीं .
जिन्दगी तो सुबह शाम - आठों पहर
फिर मौत का वक्त कौन सा है यार .
कौन है वो जो तुझे ख़्वाबों से जगा देता है
माफ़ कर देना - कमसे कम मैं वो तो नहीं .
छुपा के रखा उसे हमने ऐसी जगह पर यार
जहाँ से धुप भी खिड़की से झाँक सकती है .
आज फिर टूटने से बचा हूँ मैं
किसी ने फिर से मुझको -
खुदा के हवाले छोड़ दिया .
सजी है मंडियां दिलों की - सेल है यारो
फिर भी टिकाऊ सा दिल नहीं मिलता .
किसी ने कहा - की तुम
एक खुबसूरत अहसास हो .
बहूत दूर हूँ मैं तुमसे - फिर भी
यहीं कहीं हो मेरे -
दिल के बहूत पास हो .
यथार्थ की तेज़ धुप में -
चाहे कितने भी पाँव जलते हैं .
सच कोई छलावा नहीं है दोस्त
ख्वाब कितने भी रंगी हों -
पर सपने तो बस छलते हैं .
आज से सोच लिया है यारो -
यूँहीं चुपचाप रहना अच्छा है
किसी से क्या कहें - कहें ना कहें
सभी का मौन हमको तो अखरता है .
अपनी कश्ती संभाल कर रखना
कौन जाने जलजला इधर आये
वैसे पतवार - भी बेकार खरीदी हैं
ना जाने उखडकर किधर जाए .
सुलह की बात वही करते हैं
हिन्हें हम खेलने बुलाते हैं .
वो दुश्मनी से बाज आते नहीं
और हम दोस्ती में मरे जाते हैं .
अंधेरों की चाहतें ना जाने और कितना लूटेगीं .
सब्र रख कहीं तो कोई उजाले की किरण फूटेगी .
मेरे पल पल की खबर रखने वालो
अपने एक पल की खबर है तुमको .
आज कुछ और बात है शायद
आज कुछ और लोग आयें हैं .
उन्घते रहते थे ऐसे - लोगों को
जाने कुछ लोग - जगा आयें हैं .
बड़े बदले बदले से लग रहे हो तुम
हम भी कौशिश में हैं की बदल जाएँ .
आज जो चीखती कराहती हैं - बड़ी
चुप थी कभी मेरी तन्हाईयाँ लेकिन .
मैं तुझसे दूर आखिर क्यों .
सभी हम जानते फिर -
क्यों तुझे भगवान् कहते हैं .
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
जो दिल के पास हों इतने
घडी भर को जुदा होना -
जिन्हें दुश्वार हो जाए .
जुबाँ से कह नहीं सकता
मगर चुप रह नहीं सकता
कोई कुछ गलत ना समझे
हमें जो प्यार हो जाए .
कुछ पात नए आये - कुछ पात झड गए
ये नश्वर जिन्दगी है - वे सिद्ध कर गए .
तय तो यही था -
आप मिल जाओगे
एक दिन .
उस एक दिन की -
कबसे - इंतज़ार
है मुझको .
हँसना नहीं भूला कभी
हँसता हूँ आज भी .
कुछ अपनी - नादानी
मुझे रोने नहीं देती .
है कुछ भी नहीं पास
फिर भी मालामाल हूँ
कुछ दोस्तों के वास्ते
जिन्दा सवाल हूँ .
मरना नहीं मुझे - अभी
जीना है चंद रोज़ .
आरजू के कट गए - दिन
इंतज़ार बाकी है .
सदियों तलक गूंजेगी हंसी - कायनात में
जब मैं नहीं रहूँगा - यार सुन लिया करना .
तुझसे वादा था - मैं आज भी हंस लेता हूँ
ये अलग बात है आँखों में नमी है लेकिन .
महूब्ब्त हो नहीं सकती ये तू जाने - खुदा जाने
हकीकत में नहीं होगी - जिसे मुमताज कहते हैं .
की कोशिशें बहूत मगर - निकला ना कोई हल
संसद में टलते कोड बिल बस आज नहीं कल .
क्या शहर गाँव - बिल्डिंगें उग आई खेत में
कौशिश थी बहूत - तेल निकला ना रेत में .
ना हिन्द ही मिला ना हिन्दोस्तान का पता
इंडिया में भारत ढूँढता रहता हूँ आजकल .
रात अपने निशाँन छोड़ गयी
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की -
एक खाली मकान छोड़ गयी .
महुब्बत की जो दिल में क्षीण सी रेखा है
आज आ जाओ यार कल किसने देखा है .
पहले कहीं - ख़्वाबों में मुलाकात हो
इससे पहले की आपसे रूबरू बात हो .
आग ही आग है - दामन को बचाऊं कैसे
पर्दानशी हूँ मैं - सबके सामने आऊं कैसे .
बुरों में से - जरा सा अच्छा चुनना
यार क्या इसी को चुनाव कहते हैं .
जो ढूँढता सहीमें - खुदा मिल गया होता
उम्र भर ढूँढने से भी एक इंसान ना मिला .
बात मैं उनकी नहीं करता यार
जिनकी नज़रों में प्यार कुछ भी नहीं .
जाने क्यों वो रूठ गया है फिर भी
मेरे मन में तो यार कुछ भी नहीं .
जिन्दगी तो सुबह शाम - आठों पहर
फिर मौत का वक्त कौन सा है यार .
कौन है वो जो तुझे ख़्वाबों से जगा देता है
माफ़ कर देना - कमसे कम मैं वो तो नहीं .
छुपा के रखा उसे हमने ऐसी जगह पर यार
जहाँ से धुप भी खिड़की से झाँक सकती है .
आज फिर टूटने से बचा हूँ मैं
किसी ने फिर से मुझको -
खुदा के हवाले छोड़ दिया .
सजी है मंडियां दिलों की - सेल है यारो
फिर भी टिकाऊ सा दिल नहीं मिलता .
किसी ने कहा - की तुम
एक खुबसूरत अहसास हो .
बहूत दूर हूँ मैं तुमसे - फिर भी
यहीं कहीं हो मेरे -
दिल के बहूत पास हो .
यथार्थ की तेज़ धुप में -
चाहे कितने भी पाँव जलते हैं .
सच कोई छलावा नहीं है दोस्त
ख्वाब कितने भी रंगी हों -
पर सपने तो बस छलते हैं .
आज से सोच लिया है यारो -
यूँहीं चुपचाप रहना अच्छा है
किसी से क्या कहें - कहें ना कहें
सभी का मौन हमको तो अखरता है .
अपनी कश्ती संभाल कर रखना
कौन जाने जलजला इधर आये
वैसे पतवार - भी बेकार खरीदी हैं
ना जाने उखडकर किधर जाए .
सुलह की बात वही करते हैं
हिन्हें हम खेलने बुलाते हैं .
वो दुश्मनी से बाज आते नहीं
और हम दोस्ती में मरे जाते हैं .
अंधेरों की चाहतें ना जाने और कितना लूटेगीं .
सब्र रख कहीं तो कोई उजाले की किरण फूटेगी .
मेरे पल पल की खबर रखने वालो
अपने एक पल की खबर है तुमको .
आज कुछ और बात है शायद
आज कुछ और लोग आयें हैं .
उन्घते रहते थे ऐसे - लोगों को
जाने कुछ लोग - जगा आयें हैं .
बड़े बदले बदले से लग रहे हो तुम
हम भी कौशिश में हैं की बदल जाएँ .
आज जो चीखती कराहती हैं - बड़ी
चुप थी कभी मेरी तन्हाईयाँ लेकिन .
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