आज की बात शायद -
कल नहीं रहेगी .
जज्बात की ये धार - कुंद हो गयी
तो फिर कुछ नहीं कहेगी .
शाम ढलने को -
चिराग जलने को हैं .
रात की गस्त पर - बस
चाँद निकलने को है .
हों मुश्किल भरे हालात
तो कोई बात नहीं .
सितारों से करलो बात -
तुम चले आओ .
कल नहीं रहेगी .
जज्बात की ये धार - कुंद हो गयी
तो फिर कुछ नहीं कहेगी .
शाम ढलने को -
चिराग जलने को हैं .
रात की गस्त पर - बस
चाँद निकलने को है .
हों मुश्किल भरे हालात
तो कोई बात नहीं .
सितारों से करलो बात -
तुम चले आओ .
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