गीते-आज़ादी तो मैंने लिख दिया पर
आम पब्लिक में इसे गाना मना है .
चाँद सुन्दर है - बहूत ये बात सच है
इसे रसगुल्ला समझ खाना मना है .
आज तूफां का निमंत्रण है मुझे भी
पर अकेले तीर पर जाना मना है .
शोखियाँ - इकरार बातें छोडिये जी
ये ग़ज़ल उनपर हमें गाना मना है .
घुमड़ कर बादल -बरसने को खड़े हैं
शहर में बरसात - बरसाना मना है .
एक कमसिन सी नाजुक कलि तुम
मेरे ख़्वाबों में तेरा आना मना है .
बात मानो तो बता दूं बात तुमको
मेरे गीतों को गुनगुनाना मना है .
वो अकेले ही लड़ेंगे - जंग सबकी
उनकी सभा में 'बाबा' का जाना मना है .
रंग सारे मिल गए काली अमा में
लाल रंग होली पे लगाना मना है .
मार खाकर तुम बहूत चुपचाप से हो
हौसले के साथ सत्ता से इतराना मना है .
आना जाना अब कहीं भी बंद है सब
भांग खाकर 'उनके' घर जाना मना है .
बहुत सुन्दर जी ....
ReplyDeleteBahut acchi rachna sir ji.....
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