ये पीले काले - गुलाबी चेहरे
इन्कलाब हाथ लिए चल रहे है
हुक्काम तो खुश नहीं - पर
हम भी क्यों भुन जल रहें हैं .
याद कर सेतु सागर पे अकेले
राम जी ने नहीं बनाया था -
गिलहरी का अल्प सहयोग भी
उसमे बहूत काम आया था.
इन्कलाब हाथ लिए चल रहे है
हुक्काम तो खुश नहीं - पर
हम भी क्यों भुन जल रहें हैं .
याद कर सेतु सागर पे अकेले
राम जी ने नहीं बनाया था -
गिलहरी का अल्प सहयोग भी
उसमे बहूत काम आया था.
चलने दे हवा को जैसे भी चले -
लहरों को तनिक ऊँचा तो उठाने दे .
एक दिन चाँद ज्वारभाटा साथ लाएगा
फिर इन्हीं लहरों से तुफां का
एक नया आगाज़ लिखा जाएगा .
लहरों को तनिक ऊँचा तो उठाने दे .
एक दिन चाँद ज्वारभाटा साथ लाएगा
फिर इन्हीं लहरों से तुफां का
एक नया आगाज़ लिखा जाएगा .
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