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Saturday, August 4, 2012

क्षणिकाएं


  •  आज तीर पर आमंत्रण है - 
  • लहरों से मिलने का मन है .
  • सागर पर कुछ क्रोध नहीं -बस
  • तूफां से टकराने का प्रण है. 

  • एक सितारा टुटा है फिर - 
  • आसमान क्या हुआ बाँझ है.
  • पौ फटते ही भौर हुई बस -
  • उस 'तरुवर' की हुए सांझ है .

  • एक पुष्प के मुरझाने से - गुलशन नहीं मरा करते है
  • पतझर आते ही रहते हैं - बरगद नया खड़ा करते है .
  • तुफानो की आशंका से - सागर विचलित नहीं जरा भी 
  • विपदा के आने से केवल - युक्ति नयी गढ़ा करते हैं .

  • जोर से कसके पकड़ना - की हाथ छूटे नहीं 
  • तेरी मेरी दोस्ती सात जन्मों - तक टूटे नहीं .

यही करना था तो - पहले कहते 
तुम भी राजनीति में फोकस रहते . 
हमने अन्ना माना था तुम्हें अपना सा
हम भी जरा तुमसे यार चौकस रहते .

तुमने पूंछा नहीं - मैं तनहा क्यों हूँ 
मैं जो ऐसा हूँ तो- फिर ऐसा क्यों हूँ .
मेरे हाल पे हँसना तो बड़ी बात नहीं
मैं तेरे हाल पे रोता हूँ तो रोता क्यों हूँ .

इस दिलकी बात छोडो मेरी बेबसी को समझो 
खोने से पहले तुझको - मैं पाऊँ भी भला कैसे .

खुद को समर्पित कर दिया - फिर और क्या देते 
दिल के सिवा अब और मेरे पास क्या था यार .

जो तुने दिया वही - मैं वापिस लौटा रहा हूँ 
तू मुझसे दूर हो रही है - मैं तुझसे दूर जा रहा हूँ .

उनके साथ बहूत छोटा सा ही सफ़र था 
जरा सा फासला - दो कदम पे मेरा घर था .

जुबाँ खामोश थी - कैसे तेरी तारीफ़ करता
नजर ने बिन कहे - सब कुछ कह दिया जनाब .

हम मर मिटे थे जिन पे - वे फिरसे हम पे जान देंगे 
बहुमत से पास करा - फिर भी चुनावी इम्तेहान देंगे .

कलतो सब कुछ मुफ्त था - भीड़ घिरी चहु और
पांच जनों से यार फिर - अब क्या अनशन होय .

भूखा मरना कठिन है - ये तो पक्की बात
जनता अबतो चुनेगी - किसको परसे भात .

बाप हजारी कर गए - बेटा चाहे करोड़ 
पूंजी सारी छिन गयी - अब क्यों ले मरोड़ .

जाने क्यों शेर सा लगता है - जंगल में हर सियार 
माना देश में मानसून कमजोर है इस बार - पर 
अभी बारिशों का मौसम है - गिरने दो और फुहार .
अन्ना का रोल ख़त्म- अभी तो मोदी बाकी है यार .

जन्तर - मन्तर से 
मदारी - जमूरा दोनों फरार 
चलिए खेल ख़त्म - अपने
अपने घर जाओ ना यार .

अमाँ जितने पैसों की राखी 
जनता से बंधवा गए - उतने
पैसे तो वापिस कर जाते - फिर
चाहे - अनशन में मर जाते - 
या बीच में उठ - अपने घर जाते .

कभी खुद से - अलग होकर तो देख
मैं कितना करीब हूँ - छूकर तो देख .

ना कोई ख्वाब - ना कोई रुसवाई हूँ 
मैं तेरा ही रूप - तेरी ही परछाई हूँ .


बड़े पागल हैं जो खुद से प्यार करते हैं 
हम तो तेरा आज भी इंतज़ार करते हैं .


कहीं कोई था नहीं इस दुनिया में - तूझे मिलता कैसे 
मुझे पता हैं - सिवा मेरे तेरा कोई और है भी नहीं यार .


उठा लेता जो वे फलक से गिरे होते  - 
जमीं पर गिरे आंसू उठाये नहीं जाते .
चढ़े जो देवता पर एक बार - दोस्तों
वे फूल किसी और पर चढ़ाए नहीं जाते .

जनता ने क्या सोचना 
जनता अंधी जात .
अपनी अपनी कूल्डी
और अपना अपना भात .

मुड मुडके क्या देखना - 

आगे राह अनेक .
अन्ना से मिलते बहूत - 
हमसा मिले ना एक . 
जो तू - मैं मिल जायेंगे - 
ये ढूंढे ना पायेंगे .
गर जो हम बँट जायेंगे - 
तर माल कमीने खायेंगे .

फिर से एक संग्राम हो - और गीता का पाठ 

तब तो मुमकिन जीत हो - चलो उठो हे नाथ .

कंसा तो ज़िंदा भया - कहाँ छिपे हो नाथ 

हम बेजाँ कठपुतलियां - डोरी थामो हाथ .

पांचन के पच्चीस कर - और फिर कई करोड़

सवा अरब के देस में - उठे ना कोई मरोड़ .

ऐठन लागे जब कोई - बैंयां देवो मरोड़

पैरन ते चल ना सके - टंगीया देवो तोड़ .
आपण की अम्मा ससुर - आपन की सर्कार
है कोऊ में हौसला - करलो काऊ बिगाड़ .

गुडगोबर सब हो गया - बचा ना कोई नाम 

मोदी की दरकार है - अन्ना हुए हराम .

अट्टे पे सट्टा चले - अनशन भारी दाव 

ना अन्ना अब डिग सके -जबरन दे बैठाओ

इस तरह सबसे अलग - इकला मत रह - 

जो मैंने सहा - चल दो दिन तू भी सह .
भूल जाएगा - तू खुदा और इंसान हूँ मैं - 
फिर चाहे खुदको खुदा कह या ना कह .

किसी को मिला होगा - भला मैं कैसे मानू यार 

'श्याम' को - ढूँढने में जीवन की शाम हो गयी .

मौन शब्द नहीं मांगता 

और शब्द मौन नहीं रहते .
चलो शब्दहीन हो जाए -
आनंदमय मौन में खो जाएँ .

ना उसके पास था कहीं - ना मेरे पास था .

तू भी कहीं उदास थी - मैं भी उदास था 
सारा समय का फेर है - यारो मैं क्या कहूं 
ये वक्त भूतनी का - जाने किसके पास था.

छूकर निकल गयी - दिलको करीब से

बेख़ौफ़ हवाओं - से डरता बहूत हूँ यार .

जिस दिन कोई मिल जाएगा - मेरे नसीब से

उस दिन का इंतज़ार तो कब से मुझे है यार .

गम ना कर - बच्चे हैं बहल जायेंगे .

आज याद है पर जल्दी भूल जायेंगे .
भूल मत जाना - हमीं को देना यार 
वोट जब मांगने हम तेरे पास आयेंगे .


जीवन प्रेम का ही प्रसार 
प्रेम कर - मोह नहीं यार .

एक फूल के मुरझाने से 

उपवन होता नहीं बाँझ है .


पुष्प एक मुरझाया है पर 


ये जीवन की नहीं सांझ है .





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