भोर में देर तक मत सो
सपनो में मत खो .
ये जागरण की वेला है .
अब अन्ना नहीं है - तू
बिलकुल अकेला है .
पुरानी टोपियों ने कौन सा
कमाल किया था -
स्वराज - को स्व राज
में बदल दिया था .
ये नयी टोपी तुझे -
क्या नया दे जायेगी
उम्मीद कम है -
जनता के सर पर
वैसे भी -
फिट नहीं आएगी
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