कोशिशें कौशिश करती रह गयी -पर
नींद ना आनी थी - ना आई रात भर .
कितनी नावों में कितनी बात
पर नहीं पहुंचे कभी उसपार .
कुव्वतें चुक गयी - थक गया हूँ
छोडो भी अब जाने दो यार .
रहने दो तुमसे ये ना होगा - यार
प्यार हरेक के नसीब में नहीं होता .
ये तय है सुबह को होना भी है -
दिल ना चाहे - पर सोना भी है .
कोई ख्वाब में करता है मेरा इंतज़ार
तुम डटे रहो पर हम तो चले यार .
जाने क्यों तिल का ताड़ बना देती है
दुनिया - आम को झाड बना देती है
बात यूँ कुछ भी नहीं फिर भी यार -
अदना आदमीको पहाड़ बना देती है .
बहूत पी - मदहोश हो गए -
चलो अब होश की बात करें .
देखो दुश्मन भी अकेला है -
मिलें - चलकर दो दो हाथ करे .
फिर किसी रोज - कभी
अभी फुर्सत में नहीं हूँ यार
कितने से दिन और बचे हैं
अब ये संडे आने में यार .
दिल में था जोश - पर हाथों से
उठाया ना गया - डगमगाये थे
कदम - एक डग भी उठाया ना गया
छुपाते सभी - हमसे छुपाया ना गया .
बहूत इतरा नहीं - ऐ मौत
मैं अभी तलक जिन्दा हूँ .
क्या हुआ जो इस जिन्दगी
पर सच में बहूत शर्मिंदा हूँ .
उनकी सौहबत में यार
हमने जीना सीख लिया
मरना मुल्तवी है अब -
दर्दे दिल पीना सीख लिया .
दिल बहूत उदास है - आज
फिर कोई गीत गुनगुनाओ ना .
कहीं अब सुकून नहीं मिलता -
तुम कोई रास्ता बताओ ना .
अकेले कब से यहाँ बैठे हैं -
हमारे पास चले आओ ना .
दौड़ अंधी थी - ना जाने
कहाँ तक पहुंचे .
जिन्दगी पीछे रह गयी -
वे जहाँ तक पंहुचे .
जीवन अनंत है - पर इस देह का अंत है
आत्मा से प्रेम करे वही तो सिद्ध संत है .
मुझे गर्व है - मैं हिन्दू हूँ
मुझे गर्व है - मैं मुसलमान हूँ .
मुझे तलाश है अपनी यार -
मैं तो इंसान हूँ - इनमे
आखिर मैं कहाँ हूँ .
तू हंसने की बात मत कर -यार
यहाँ पर मुस्कुराना भी मना है .
जीवन प्रेम का ही प्रसार
प्रेम कर - मोह नहीं यार .
आत्मा अमर - पर देह का अंत है
फ़िक्र फिर कैसी - जीवन अनंत है .
एक फूल के मुरझाने से
उपवन होता नहीं बाँझ है .
पुष्प एक मुरझाया है पर
ये जीवन की नहीं सांझ है .
आने वाले को दे स्नेह बहूत सा प्यार
जाने वाले को सस्नेह विदा कर यार .
नया कुछ नहीं - सब पुरानी है
एक भूली नज्म तुम्हें सुनानी है .
वो लम्हें वो दबा छिपा सा प्यार
याद आजाए तो दाद दे देना यार .
अश्क आँखों में उमड़ते हैं मगर -
नजर बचाके जमाने से छुपा लेता हूँ
चन्द कदम क्रांति के रथ को
थोडा ही सही - और
आगे बढवा लो .
नींद ना आनी थी - ना आई रात भर .
कितनी नावों में कितनी बात
पर नहीं पहुंचे कभी उसपार .
कुव्वतें चुक गयी - थक गया हूँ
छोडो भी अब जाने दो यार .
रहने दो तुमसे ये ना होगा - यार
प्यार हरेक के नसीब में नहीं होता .
ये तय है सुबह को होना भी है -
दिल ना चाहे - पर सोना भी है .
कोई ख्वाब में करता है मेरा इंतज़ार
तुम डटे रहो पर हम तो चले यार .
जाने क्यों तिल का ताड़ बना देती है
दुनिया - आम को झाड बना देती है
बात यूँ कुछ भी नहीं फिर भी यार -
अदना आदमीको पहाड़ बना देती है .
बहूत पी - मदहोश हो गए -
चलो अब होश की बात करें .
देखो दुश्मन भी अकेला है -
मिलें - चलकर दो दो हाथ करे .
फिर किसी रोज - कभी
अभी फुर्सत में नहीं हूँ यार
कितने से दिन और बचे हैं
अब ये संडे आने में यार .
दिल में था जोश - पर हाथों से
उठाया ना गया - डगमगाये थे
कदम - एक डग भी उठाया ना गया
छुपाते सभी - हमसे छुपाया ना गया .
बहूत इतरा नहीं - ऐ मौत
मैं अभी तलक जिन्दा हूँ .
क्या हुआ जो इस जिन्दगी
पर सच में बहूत शर्मिंदा हूँ .
उनकी सौहबत में यार
हमने जीना सीख लिया
मरना मुल्तवी है अब -
दर्दे दिल पीना सीख लिया .
दिल बहूत उदास है - आज
फिर कोई गीत गुनगुनाओ ना .
कहीं अब सुकून नहीं मिलता -
तुम कोई रास्ता बताओ ना .
अकेले कब से यहाँ बैठे हैं -
हमारे पास चले आओ ना .
दौड़ अंधी थी - ना जाने
कहाँ तक पहुंचे .
जिन्दगी पीछे रह गयी -
वे जहाँ तक पंहुचे .
जीवन अनंत है - पर इस देह का अंत है
आत्मा से प्रेम करे वही तो सिद्ध संत है .
मुझे गर्व है - मैं हिन्दू हूँ
मुझे गर्व है - मैं मुसलमान हूँ .
मुझे तलाश है अपनी यार -
मैं तो इंसान हूँ - इनमे
आखिर मैं कहाँ हूँ .
तू हंसने की बात मत कर -यार
यहाँ पर मुस्कुराना भी मना है .
जीवन प्रेम का ही प्रसार
प्रेम कर - मोह नहीं यार .
आत्मा अमर - पर देह का अंत है
फ़िक्र फिर कैसी - जीवन अनंत है .
एक फूल के मुरझाने से
उपवन होता नहीं बाँझ है .
पुष्प एक मुरझाया है पर
ये जीवन की नहीं सांझ है .
आने वाले को दे स्नेह बहूत सा प्यार
जाने वाले को सस्नेह विदा कर यार .
नया कुछ नहीं - सब पुरानी है
एक भूली नज्म तुम्हें सुनानी है .
वो लम्हें वो दबा छिपा सा प्यार
याद आजाए तो दाद दे देना यार .
अश्क आँखों में उमड़ते हैं मगर -
नजर बचाके जमाने से छुपा लेता हूँ
कभी अन्ना की टोपी ,
कभी बाबा - की दाढ़ी
और अब एक नए रंग -
अलग किस्म की खादी
इन्हें भी देख - अजमा लो .
चन्द कदम क्रांति के रथ को
थोडा ही सही - और
आगे बढवा लो .
शाम ढल रही है - चलो अब घर को चलें
क्या फर्क - तन्हाईयाँ यहाँ भी हैं - वहां भी .
क्या फर्क - तन्हाईयाँ यहाँ भी हैं - वहां भी .
खोलने दो अब तो यार - सांस घुटने लगी है
पेट पे बाँधी हुई ये बेल्ट अब चुभने लगी है .
मैं इस जिस्म से परेशां हूँ मेरे सरकार
कमीनी भूख - फिरसे उगने लगी है .
पेट पे बाँधी हुई ये बेल्ट अब चुभने लगी है .
मैं इस जिस्म से परेशां हूँ मेरे सरकार
कमीनी भूख - फिरसे उगने लगी है .
अँधेरा फैला रहा आकाश में
धुंद छाई भरी बरसात में .
खुद को मेरे पैरोकार कहते हैं
सज़ा हो जाती - बात बात में .
धुंद छाई भरी बरसात में .
खुद को मेरे पैरोकार कहते हैं
सज़ा हो जाती - बात बात में .
सब्ज पातों पे नज़र डालूँ क्या
चमन से कोई गुल चुरा लूं क्या .
हकीकत में न सही खवाबों में
इजाजत दें - मैं मुस्कुरालूँ क्या .
चमन से कोई गुल चुरा लूं क्या .
हकीकत में न सही खवाबों में
इजाजत दें - मैं मुस्कुरालूँ क्या .
बंधा नहीं हूँ नावों से -
चिंतित नहीं प्रभावों से .
पार पहूंचना है - मुझको
खे चल नौका - बाहों से .
चिंतित नहीं प्रभावों से .
पार पहूंचना है - मुझको
खे चल नौका - बाहों से .
किसी का दिल जिन्दगी के अहसास से ना खाली हो
यहाँ एक दिन नहीं यार - बल्कि हर रोज़ दिवाली हो .
यहाँ एक दिन नहीं यार - बल्कि हर रोज़ दिवाली हो .
अँधेरा बहूत है -
एक दिन की दिवाली भी
कितना उजास करेगी .
मन में छाई मुर्दनी में आखिर
कितना जिन्दगी का अहसास भरेगी .
एक दिन की दिवाली भी
कितना उजास करेगी .
मन में छाई मुर्दनी में आखिर
कितना जिन्दगी का अहसास भरेगी .
तू मुझे बाँध मत - खुलके बिखर जाने दे
खिड़कियाँ खोल दे - थोड़ी सी हवा आने दे .
खिड़कियाँ खोल दे - थोड़ी सी हवा आने दे .
फिर माँगना मेरी खताओं का हिसाब
पहले अपने गुनाहों से तो तौबा करले .
पहले अपने गुनाहों से तो तौबा करले .
कब तलक लोगे रौशनी उधार
क्या जब तलक चलेगा संसार ?
माना की जमाने में दीया - रौशनी का
सरताज नहीं होता - पर अँधेरे घर में
दीया ही उजास देता है - यार वो किसी
सूरज - चाँद का मौह्ताज़ नहीं होता .
क्या जब तलक चलेगा संसार ?
माना की जमाने में दीया - रौशनी का
सरताज नहीं होता - पर अँधेरे घर में
दीया ही उजास देता है - यार वो किसी
सूरज - चाँद का मौह्ताज़ नहीं होता .
कहीं से भटकता सा शक्श आ गया कोई
अनाम कब्र पर फिर दीया जला गया कोई .
अनाम कब्र पर फिर दीया जला गया कोई .
कभी बरसों बरस पुराने थे सिले जिनसे
बड़ी तहजीब - बड़े कायदे से मिले हमसे .
बड़ी तहजीब - बड़े कायदे से मिले हमसे .
रूह पा जायेगी एक दिन - चाहोगे जिसे
जिस्म की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती .
जिस्म की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती .
कोई निशाँ नहीं - जहाँ में बेनिशाँ से रहे
कोई निशाना यार ठीक से लगा ही नहीं .
कोई निशाना यार ठीक से लगा ही नहीं .
मुझे अब किसी की तलाश नहीं -
हैं कोई जिसको तलाश हो मेरी .
हैं कोई जिसको तलाश हो मेरी .
मौज ने डूबने नहीं दिया
पास में ही तो किनारे थे .
दिल चलें आज उसी कूंचे में
जहां हम दिलकी बाज़ी हारे थे .
पास में ही तो किनारे थे .
दिल चलें आज उसी कूंचे में
जहां हम दिलकी बाज़ी हारे थे .
मन सुकूँ पा ना सका -यार
समझाना मेरा बेकार गया .
जिसे था जीतना वही जीता
मैं तो हरेक बाजी हार गया .
समझाना मेरा बेकार गया .
जिसे था जीतना वही जीता
मैं तो हरेक बाजी हार गया .
रिसते हुए नासूर
तेरी याद के सनम
तेरी याद के सनम
भरने से पहले
फिरसे कुरेद लेता हूँ .
फिरसे कुरेद लेता हूँ .
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