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Wednesday, April 4, 2012

समय की धार में सब बह गया


समय की धार में सब बह गया -
कभी फुर्सत मिली देखेंगे - तब
क्या बचा क्या रह गया .

वक्त के पंछी चले उड़ान पर
नीड़ धरती पर - और इरादे
थे उनके आसमान पर .

ध्येय एक था और
अगणित रास्ते -एक मेरा
बाकी जाने किस किसके वास्ते .

एक अदना आदमी - और
वक्त का कद बड़ा था - 

मैं सामने और
वो मेरे पीछे खड़ा था .

केवल मैं - नहीं तुम
और वो - सिर्फ हम हैं
छोडो भी यारो जाने भी दो .

ख्याल जेहन में - शब्द कागज़ पर
नहीं उतरे - यार कुछ तो
हमारी शर्म कर - अदब कर .

2 comments:

  1. फुर्सत जीवन में कहाँ, बहते रहे अबाध |

    बहने से ज्यादा मिला, ईश्वर भक्ति अगाध |

    ईश्वर भक्ति अगाध, रास्ते ढेर दिखाते ।

    उड़कर आऊं पास, छेकते रिश्ते नाते ।

    स्वार्थ सिद्धि का योग, पूर कर उनकी हसरत ।

    टिप्पण पाऊं ढेर, मिले न हमको फुर्सत ।।

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  2. बहुत ही सुन्दर / लाज़वाब

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