समय की धार में सब बह गया -
कभी फुर्सत मिली देखेंगे - तब
क्या बचा क्या रह गया .
वक्त के पंछी चले उड़ान पर
नीड़ धरती पर - और इरादे
थे उनके आसमान पर .
ध्येय एक था और
अगणित रास्ते -एक मेरा
बाकी जाने किस किसके वास्ते .
एक अदना आदमी - और
वक्त का कद बड़ा था -
मैं सामने और
वो मेरे पीछे खड़ा था .
केवल मैं - नहीं तुम
और वो - सिर्फ हम हैं
छोडो भी यारो जाने भी दो .
ख्याल जेहन में - शब्द कागज़ पर
नहीं उतरे - यार कुछ तो
हमारी शर्म कर - अदब कर .
कभी फुर्सत मिली देखेंगे - तब
क्या बचा क्या रह गया .
वक्त के पंछी चले उड़ान पर
नीड़ धरती पर - और इरादे
थे उनके आसमान पर .
ध्येय एक था और
अगणित रास्ते -एक मेरा
बाकी जाने किस किसके वास्ते .
एक अदना आदमी - और
वक्त का कद बड़ा था -
मैं सामने और
वो मेरे पीछे खड़ा था .
केवल मैं - नहीं तुम
और वो - सिर्फ हम हैं
छोडो भी यारो जाने भी दो .
ख्याल जेहन में - शब्द कागज़ पर
नहीं उतरे - यार कुछ तो
हमारी शर्म कर - अदब कर .
फुर्सत जीवन में कहाँ, बहते रहे अबाध |
ReplyDeleteबहने से ज्यादा मिला, ईश्वर भक्ति अगाध |
ईश्वर भक्ति अगाध, रास्ते ढेर दिखाते ।
उड़कर आऊं पास, छेकते रिश्ते नाते ।
स्वार्थ सिद्धि का योग, पूर कर उनकी हसरत ।
टिप्पण पाऊं ढेर, मिले न हमको फुर्सत ।।
बहुत ही सुन्दर / लाज़वाब
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