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Saturday, December 10, 2011

तुम एक आदमी हो

तुम एक आदमी हो - झंझावात आंधी नहीं
तुम अन्ना हजारे हो पर महत्मा गाँधी नहीं .

हजारों साथ चलते थे - जब वे घर से निकलते थे
सत्याग्रही हर कदम पर उनके साथ साथ चलते थे .
अकेले आपकी तरह - चने से भाड़ में नहीं जलते थे.
एक 'बाबा' आपको इतना ज्यादा क्यों खलते थे .

वैसे आपकी इच्छा है - आपकी मर्जी है
पता नहीं 'बाबा' से आपको क्या अलर्जी है .
सफलता का श्रे अकेले लेना - साफ़ साफ़ खुदगर्जी है .

ये जान लो - चाहो तो सच मान लो -
एक लहर - सिर्फ नदी सी बहती है 
तूफान नहीं उठाती - तट से दूर नहीं जाती
सभी का संग साथ कर लो -हम भी
बीच मझधार ना डूबें और
तुम भी पार उतर लो . 

1 comment:

  1. खूबसूरत प्रस्तुति ||

    बहुत बहुत बधाई ||

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