Popular Posts

Friday, December 30, 2011

आगंतुक का - स्वागत हो

इतना सुन्दर भी नहीं था
की जाने का शोक होता .
इतना बुरा भी नहीं था की -
चला जाता तो अच्छा था.

जैसा भी था मेरा कल
जो अब नहीं है .
आज मैं जी रहा हूँ - जैसा भी है
ये नया कल - अभी आया नहीं है
जाने कैसा होगा -कौन जाने .

पर - आशाएं अभी से
हम क्यों छोड़ें .
अपना आशावादी -
दृष्टिकोण आखिर क्यों तोड़ें .

आगंतुक का - स्वागत हो
आरती का थाल सजाने दे .
वो अपने साथ - ख़ुशी या गम
ज्यादा या कम - जो भी
ला रहा है - उसे लाने दे .

No comments:

Post a Comment