अच्छा आदमी - वो
बहूत अच्छा - किरदार था.
जाने क्यों मुझे उससे महूब्ब्त
बहूत सा प्यार था .
ये बहरूपिये - बहुआयामी
जीवन जीते हैं - जाने कैसे
बन जाते हैं हमारे प्रेरणास्त्रोत -
हमारे आदर्श -नेता/अभिनेता .
पर शाश्वत कुछ भी नहीं -
ये नट-नटी के खेल -
ख़त्म होते ही हैं .
फिर कैसा दुःख कैसा विषाद .
जीवन की सच्चाइयों से
रूबरू हो - साक्षात्कार कर.
अभिनय नहीं है जीवन -
नट नहीं -
नटनागर की बात कर.
बहूत अच्छा - किरदार था.
जाने क्यों मुझे उससे महूब्ब्त
बहूत सा प्यार था .
ये बहरूपिये - बहुआयामी
जीवन जीते हैं - जाने कैसे
बन जाते हैं हमारे प्रेरणास्त्रोत -
हमारे आदर्श -नेता/अभिनेता .
पर शाश्वत कुछ भी नहीं -
ये नट-नटी के खेल -
ख़त्म होते ही हैं .
फिर कैसा दुःख कैसा विषाद .
जीवन की सच्चाइयों से
रूबरू हो - साक्षात्कार कर.
अभिनय नहीं है जीवन -
नट नहीं -
नटनागर की बात कर.
ये नट-नटी के खेल -
ReplyDeleteख़त्म होते ही हैं .
बहुत सुन्दर
''नटनागर'' की बात कर,
वाकई में सत्य सिर्फ वही हैं, ये जगत तो बस मिथ्या है।