Popular Posts

Sunday, December 4, 2011

नट नहीं - नटनागर की बात कर

अच्छा आदमी  - वो
बहूत अच्छा - किरदार था.
जाने क्यों मुझे उससे महूब्ब्त
बहूत सा प्यार था .
 
ये बहरूपिये  -  बहुआयामी
जीवन जीते हैं - जाने कैसे 
बन जाते हैं हमारे प्रेरणास्त्रोत -
हमारे आदर्श -नेता/अभिनेता .

पर शाश्वत कुछ भी नहीं -
ये नट-नटी के खेल -
ख़त्म होते ही हैं .
फिर कैसा दुःख कैसा विषाद .

जीवन की सच्चाइयों से
रूबरू हो - साक्षात्कार कर.
अभिनय नहीं है जीवन -
नट नहीं -
नटनागर की बात कर.

1 comment:

  1. ये नट-नटी के खेल -
    ख़त्म होते ही हैं .

    बहुत सुन्दर

    ''नटनागर'' की बात कर,
    वाकई में सत्य सिर्फ वही हैं, ये जगत तो बस मिथ्या है।

    ReplyDelete