Popular Posts

Thursday, July 14, 2011

दिवाली पर तो नहीं डरता था

दिवाली पर तो नहीं डरता था
आज इतना हल्ला मचाता है .
अबे दो चार बम कोई छुटाए -
उनके धमाकों से -
तू क्यों मरा जाता है .
...
सब खेल है -सियासत है
पटरी से उतरी रेल है .
कितने मर गए - कौन सी
साली लंका ख़ाली कर गए .

अभी तो इतनी फ़ौज है -
चाहे दुश्मनों की मौज है .
चलने दे छोटे मोटे पटाखे -जब
मन आये ये पिटपिट बंद कर दीयों -
सालों के दो चार -थोबड़े पे धर दियो .

तू मर्द है - मर्द को दर्द नहीं होता
सिसकते तो जनखे हैं -आखिर
बिखरते तो माला के मनके हैं .

1 comment:

  1. आक्रोश और दुःख के सिवा जो बचा है वो हौसला |
    राजनेताओं ने एक बार अपनी टिप्पणियों से फिर छला ||

    हर-हर बम-बम
    बम-बम धम-धम |

    थम-थम, गम-गम,
    हम-हम, नम-नम|

    शठ-शम शठ-शम
    व्यर्थम - व्यर्थम |

    दम-ख़म, बम-बम,
    तम-कम, हर-दम |

    समदन सम-सम,
    समरथ सब हम | समदन = युद्ध

    अनरथ कर कम
    चट-पट भर दम |

    भकभक जल यम
    मरदन मरहम ||
    राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |

    ReplyDelete