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हमे नारे लगाने में मजा आता है आगे रहना हमे जरा नहीं भाता है . गोली डंडा - कौन खाए - आज की दिहाड़ी कौन गवाए . हिम्मत हो तो दुश्मन - ...
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अब ऐसी भी क्या जल्दी - किश्तों में धीरे धीरे मरते हैं . जीना कोई मजाक नहीं है - यार जाने दो - टुकड़ों में ही सही हर पल आत्महत्या करते ...
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देखना क्या - मौत का यारो जो छिपी है लाख पर्दों में . हर तरफ बिखरी पड़ी है जो जिन्दगी वो बेमिसाल है . मौत की बाते करें हम क्यों ...
बहुत सुन्दर रचना!
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