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चोट लगती है फूल से भी यार फूल पत्थर की तरह फैंको मत सुर नहीं साज नहीं आवाज़ नहीं अब यूँ गधों की तरह रेंकों मत . जिनावर ...
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घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
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किसीकी जात में दम है - किसीकी पांत में दम है. किसीकी दौलते चलती किसीके हाथ में दम है . ना तेरे प्यार में दम है ना मेरे प्यार में...
बहुत सुन्दर रचना!
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