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Saturday, September 28, 2013

मुक्तक

तुम्ही हो जिन्दगी मेरी 
तुम्ही से प्यार है माना .
निभाओ दोस्ती हमसे 
कभी मत छोड़कर जाना .

जरा सी बात है लेकिन 
लबों से कह नहीं सकते .
तुम्ही से प्यार करते हैं 
तेरे बिन रह नहीं सकते .

रात हर रोज़ आती है
मगर हम सो नहीं पाए .
किसी के बन नहीं पाए
किसी के हो नहीं पाए .

कभी आ जाओ चुपके से
कहीं मिल जाओ राहों में
हमें भी नींद आ जाए -
तेरी जुल्फों की छावों में .

प्यार की बात करते हैं
प्यार करना नहीं आया .
किसी की आँख में रह -
ढूबकर मरना नहीं आया .

क्यों घर को छोड़कर जाते
अगर वो ना खफा होती .
क्यों वापिस लौटकर आते
जो यारो में वफ़ा होती .

हमें जो मिल गये होते
तुम्हारे हो गए होते .
तेरी जुल्फों के साए में
कभी के सो गए होते .


आज हूँ मैं - ना रहूँ कल  
पर अमर हैं गीत मेरे .
याद जो आये कभी तो 
गुनगुनाना मीत मेरे .

1 comment:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

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