Popular Posts

Tuesday, May 1, 2012

ये - बूढ़ा पेड़

फल- फूल देता था कभी - 
पर आँगन में खड़ा ये - 
बूढ़ा पेड़ - 
अब कतई - बाँझ है .
मैं जानता हूँ - ये इसकी 
जिन्दगी की साँझ है .

पर मेरा बचपन -
इसके कंधे पे बीता .
पर अब अप्रासंगिक हो गया है 
क्यों की मेरा बचपन - 
जीवन की भूल भूलैया में 
जाने कहीं खो गया है .

जिस्म सूख गया - उसका 
पर आँखों में - अपूर्व शान्ति है 
मन में  ना कहीं कोई - संताप है .
उसके सम्मुख - मैं 
आजभी बच्चा हूँ - 
क्यों की वो मेरा बाप है .

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर संवेदनशील प्रस्तुति..

    ReplyDelete