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Saturday, May 5, 2012

मैं कहीं हूँ तो सही

"मैं कहीं हूँ तो सही "

इंसानी चीख में -
प्रतिदान और भीख में
शिक्षक की सीख में 
राकेट की चीख में 
बैलगाड़ी की लीक में 
कहीं मैं हूँ तो सही 

जलसे में ताली सा 
ससुराल में साली सा 
गुस्से में गाली सा 
उपवन में माली सा 
कहीं मैं हूँ तो सही .

तेरी  सुरताल में 
गेहूं की बाल में
गेंडे की खाल में 
बाल और बबाल में 
हाल बेहाल में 
कहीं मैं हूँ तो सही . 

फ़िक्र और मस्ती में 
आलमे पस्ती में 
आदम की हस्ती में 
सागर और कश्ती में 
इंसानी बस्ती में 
कहीं मैं हूँ तो सही .

पोथी और पुराणों में
नदियों के  मुहानों में
मौसम सुहानो में -
गीत और गानों में 
मिलन के  बहानो में
मजदूर किसानो में 
कहीं मैं हूँ तो सही .

सोने में कुंदन सा 
रुदन में कृन्दन सा 
पूजा में वंदन सा 
वृक्षों में चन्दन सा 
बृज में ब्रिजनंदन सा 
कहीं मैं हूँ तो सही .

पंछी में मोर सा 
दिल में चितचोर सा 
रोटी में कोर सा 
दिवस में भौर सा 
प्रहार में जोर सा 
भीड़ में शोर सा 
चुप में मुहजोर सा .
औरों में और सा .

कहीं मैं हूँ तो सही .

मोटों में भालू सा 
सब्जी में आलू सा 
मंत्री लालू सा 
वादे में टालूसा 
कुत्ते में कालू सा 
चलन में चालू सा 
नदी में बालू सा 
कहीं मैं हूँ तो सही .

कोढ़ में खाज सा 
दुश्मन समाज सा 
पूजा में नमाज सा 
गीत में साज सा 
अंग्रेजी राज सा 
खेत में अनाज सा 
कहीं मैं हूँ तो सही .

सरकार में सोनिया सा 
पी एम (मन)मोनिया सा 
तरकारी में कटहल सा 
प्रधान मंत्री अटल सा 
बेडमिन्टन में शटल सा 
सिनेमा में पटल सा 
कहीं मैं हूँ तो सही .

(लिस्ट अभी और भी है पर ...
 कविता कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी ) 



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