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Sunday, January 29, 2012

मुक्तक

ये 'ना' की भी कोई कीमत तो होती होगी यार
चलोजी दिल की बात तुमने अब कही तो सही .


मेरे सिवा कोई और तेरा है तो - होता होगा 
फक्र है हम भी शामिल हैं तेरे तलबगारों में .


एक नाजुक सी कलि - खिली तो है गुलदस्ते में
दुआ खुदा से है कोई आंधी ना आये तेरे रस्ते में .



छुपाने की हरचंद कौशिश थी मेरी - लेकिन
वो बिना कहे ही सब दिल का हाल जान गए .


बात कहने की नहीं -दिल ने  कह दी
अब जो भी सजा हो - मुझे मंजूर है .


डूबते तो पत्थर हैं यार -हैरत है  
काठ की नाव मेरी डूब गयी .

मगरूर से यूँ चुपचाप मत रहिये -
कभी मेरी सुनो  - अपनी कहिये .
ये वक्त ना कटेगा - कभी यूँ तनहा .
छोडो यार - मेरे दिल में आके रहिये .



वो हसीं फूल नहीं -
तितली भी नहीं यार कोई .
कब से इस दिल पर
चौकड़ी लगाये बैठी है .
जो सच कहूं तो यकीं होगा नहीं -
एक मकड़ी है - जो घर पर
कब्ज़ा जमाये बैठी है .
जो उनसे पूंछते - तो
इनकार होना ही था .
यूँ पास पास रहे बरसों
तो प्यार होना ही था .
 
 
 
 





 

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