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Saturday, January 7, 2012

जिन्दगी फूल और गीत सी

जिन्दगी फूल और गीत सी
खुबसूरत थी - गाते रहे
गुनगुनाते रहे हर पल .

वो सुनाते रहे - जिन्दगी के फ़साने
दाद देते रहे - कहकहे लगाते रहे .
दर्द के नगमे भी कभी - कभी
दुःख भरे साज पर गाते रहे

लोग आते रहे - जाते रहे .
जो मिला - प्यार से हंस के
फिर क्या अपना - बेगाना
सबको मिलके गले लगाते रहे .

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