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Friday, January 13, 2012

सर्द रातें हैं

सर्द रातें हैं बात तेरी-मेरी नहीं 
तपस्वी की तरह - भभूत रमाये
अकेले खड़े चिनारो की हैं .
चिंगारी की तलाश में - अलाव
खंगालते - भिखारियों की है .

कौन रखता है किसी का ख्याल -
किस को फुर्सत है दोस्त .
बात पतझर की है - ना की
बहारों की है .

गिरती किसी अमीर - के घर
तो बात कुछ और ही होती
ये बर्फ भी गिरती हैं - वहां
जहाँ रात -तंगहालों की है .




2 comments:

  1. गिरती किसी अमीर - के घर
    तो बात कुछ और ही होती
    ये बर्फ भी गिरती हैं - वहां
    जहाँ रात -तंगहालों की है .
    वाह क्या बात कही है शर्माजी , बधाई ..

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