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आज लहरों में बहा सा देखिये जलोधर है फिर भी प्यासा देखिये बढ़ रही इंसान की आशा यहाँ - रोज़ आशा में निराशा देखिये . अब मीनार...
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बसना है तो बस यहीं दिल की ऊँची थांव आगे क्या मिलना सखा काले कौसों गाँव . घर से निकलो प्रेम से मन से निकलो नाही गए धार में जो दिन...
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जो मैं तेरी जगह पाता - सच कहता हूँ यार - तुझ से ज्यादा नाम - ज्यादा धन कमाता . मैं क्या - मेरा पूरा देश बिना किसी खून खराबे के जाने ...
सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteदिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।