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Tuesday, November 20, 2012

आज हर इंसान - इंसान से डरता है .



भीड़ से डरता है - बियाबान से डरता है 
भाग्य से डरता है भगवान से डरता है 
पत्नी से और हर निगेहबान से डरता है .
आज हर इंसान - इंसान से डरता है .

मंदिर के पण्डों - शाही इमाम से डरता है 
हुकूमत से डरा - उसके फरमान से डरता है .
जाति  शानोमान  - बैंक के पठान से डरता है 
कोर्ट के सम्मन - हकीम के ईमान से डरता है .

गली के नुक्कड़ से - शहर की गलियों में  
राजनेताओं के घटिया ईमान से डरता है .
महीने के बजट की खींचतान से डरता है 
दोस्त से डरता है मेहमान से डरता है .



(लिस्ट अभी और भी लम्बी है ....)

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