Popular Posts
धर्म कुछ ऐसा चलाया जाए
सारी दुनिया में - यार धर्म कुछ ऐसा चलाया जाए . बाकी सब छोड -पहले इंसानको इंसान बनाया जाए . रफ्ता रफ्ता टुकड़ों में बंट गया आइना-ए-इ...
अक्सर मैं सोचता रहता हूँ
अक्सर मैं सोचता रहता हूँ - तुम्हे ख़त लिखूं - कुछ समय निकालू , भ्रमण के लिए अपने देश कुछ दिन के लिए बुला लूं . पर खामोश रह जाता हूँ ...
मन को उन्मुक्त छोड़ दो
मन को उन्मुक्त छोड़ दो इसे किसी भी दिशा में जाने दो . दसों दिशाओं में यूं ही चक्कर लगाने दो . जबरन -हठात कैद मत करो जो जाता है -उसे ...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Comments (Atom)