शब्द समर्थ नहीं होगें - पर
भाव कमजोर नहीं है यार .
समझने की कौशिश कर ,
कुछ तो तू कर -विचार .
सीमित उम्र और - सफ़र
अनंत हो चला, याद कर
आज तक कितना-रुका
कितना चला .
दायरे में बंधा मत रह-
बाहर निकल आ -
क्या पाया क्या खो दिया -
दुनिया को कुछ तो बतला .
चलने से- ना चल पाने की-
पीड़ा मिट जाती है.
कभी कभी यूँ ही गिरते-
संभलते -जाने कितनी ,
रास्ते -राहें निकल आती हैं.
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में -सभी
तो गतिशील हैं - जहाँ रुक
जाना -मौत और
चलना ही जीवन है.
भाव कमजोर नहीं है यार .
समझने की कौशिश कर ,
कुछ तो तू कर -विचार .
सीमित उम्र और - सफ़र
अनंत हो चला, याद कर
आज तक कितना-रुका
कितना चला .
दायरे में बंधा मत रह-
बाहर निकल आ -
क्या पाया क्या खो दिया -
दुनिया को कुछ तो बतला .
चलने से- ना चल पाने की-
पीड़ा मिट जाती है.
कभी कभी यूँ ही गिरते-
संभलते -जाने कितनी ,
रास्ते -राहें निकल आती हैं.
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में -सभी
तो गतिशील हैं - जहाँ रुक
जाना -मौत और
चलना ही जीवन है.
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